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Sunday, July 13, 2025
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केरल में फिर फैला निपाह वायरस का खतरा, 425 लोग निगरानी में!

मलप्पुरम बना हॉटस्पॉट

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केरल में एक बार फिर निपाह वायरस का प्रकोप सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग ने 425 लोगों को निगरानी में रखा है, जिनमें सबसे अधिक 228 मलप्पुरम, 110 पलक्कड़ और 87 कोझिकोड से हैं। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने शनिवार (5 जुलाई) को स्थिति की समीक्षा करते हुए बताया कि संक्रमित क्षेत्रों में रोकथाम और निगरानी उपायों को तेज कर दिया गया है।

मलप्पुरम जिले में वायरस के स्रोत का पता लगाने और इसके प्रसार को रोकने के लिए एक व्यापक जनस्वास्थ्य अभियान चलाया गया। मक्करापारंबा, कुरुवा, कूट्टिलंगडी और मंकदा पंचायतों के 20 वार्डों में 65 टीमों ने 1,655 घरों का दौरा किया। इस सर्वेक्षण का नेतृत्व डॉ. एन.एन. पमेला ने किया, जिसमें सी.के. सुरेश कुमार, एम. शाहुल हमीद और महामारी विशेषज्ञ डॉ. किरण राज भी शामिल रहे। सर्वे रिपोर्ट जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. रेनुका को सौंपी गई है।

पलक्कड़ जिले में एक व्यक्ति को आइसोलेशन में रखा गया है, जिसके संपर्क में आए 61 स्वास्थ्यकर्मियों की भी निगरानी की जा रही है। यहां स्थानीय स्तर पर मरीजों को अलग-थलग किया जा रहा है और उनके नमूने जांच के लिए भेजे जा रहे हैं। वहीं कोझिकोड में निगरानी में रखे गए सभी 87 लोग स्वास्थ्यकर्मी हैं, जो मरीजों के इलाज के दौरान संभावित संक्रमण की चपेट में आए।

स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन, पुलिस और अन्य संबंधित विभागों के प्रतिनिधि शामिल हुए। राज्य सरकार ने सभी जिलों में एम्बुलेंस सेवाओं को अलर्ट पर रखा है और प्रभावित इलाकों में निगरानी व्यवस्था को और अधिक सशक्त किया गया है।

विशेषज्ञों के अनुसार, निपाह वायरस चमगादड़ों या सूअरों से इंसानों में फैलता है। इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, उल्टी, सांस लेने में कठिनाई और गंभीर मामलों में मस्तिष्क में सूजन शामिल है। 2018 में केरल में निपाह वायरस के कारण 17 लोगों की मौत हुई थी, और तब से अब तक राज्य में छह बार इसका प्रकोप देखा जा चुका है।

स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि चमगादड़ों द्वारा खाए गए फलों का सेवन न करें, और यदि बुखार या अन्य लक्षण नजर आएं तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें। फिलहाल निपाह का कोई टीका या विशेष इलाज उपलब्ध नहीं है, ऐसे में सतर्कता ही बचाव का सबसे बड़ा उपाय है। सरकार की निगरानी और कार्रवाई तेज़ है, लेकिन वायरस का खतरा अभी टला नहीं है। जनता से सहयोग और सतर्कता बरतने की अपील की गई है।

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