नेपाल में विश्वास मत प्रस्ताव के बाद नेपाल की पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व की सरकार गिर गई। नेपाल की संसद में प्रचंड सरकार इससे पहले चार बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया था, जिसमें वे अपनी सरकार को बचाने में सफल रहे थे, लेकिन पांचवी बार अविश्वास प्रस्ताव के लिए जाने के बाद उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। करीब 19 महीनों तक सरकार में रहने के बाद उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा|
दरअसल दहल सरकार के सबसे गठबंधन में सबसे बड़े सहयोगी दल सीपीएन-यूएनएल ने कुछ दिन पहले (3 जुलाई) को प्रचंड सरकार से समर्थन हटा लिया। इसके बाद कहा जा रहा है की सीपीएन-यूएनएल नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन के साथ सरकार गठित कर सकती है।
इस विश्वास मत प्रस्ताव के गिनती में पुष्प कमल दहल को नेपाल की प्रतिनिधि सभा में मात्र 63 वोट मिले। जबकि नेपाल में विश्वास मत सम्पादित करने या सरकार बनाने के लिए 138 प्रतिनिधियों के समर्थन की आवश्यकता होती है।
बता दें की नेपाल के निचले सदन की सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस है,जिनके पास 89 प्रतिनिधी है, जबकि के.पी.शर्मा ओली की सीपीएन-यूएनएल के पास 78 सीटें है| पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल के पास मात्र 32 सीटें है। नेपाल में सरकार बनाने के लिए सदन में 138 सीटों की जरुरत होती है। नेपाल कांग्रेस और सीपीएन-यूएनएल के गठबंधन से उनकी संख्या 167 सदस्यों की हो रही है, जो की प्रतिनिधी सदन में अपेक्षा से कई अधिक है।
ऐसे में नेपाल की राजनीति में यह बात प्रमाणित हो चुकी है की के.पी.शर्मा ओली ने नेपाल कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा के साथ सरकार बनाने की ठानकर ही ‘प्रचंड’ की सरकार से हाथ खींच लिया। अब नेपाल कांग्रेस और के.पी. शर्मा बारी बारी से 3 साल तक प्रधानमंत्री पद संभालेंगे यह भी चर्चा जारी है। वैसे भी नेपाल कांग्रेस ने पहले ही के.पी. शर्मा ओली को प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन दे दिया है।
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