भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ अब तक अपने आधिकारिक सरकारी आवास से नहीं हटे हैं, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वह चंद्रचूड़ को आवंटित बंगले को “तत्काल कब्जे में ले” क्योंकि चार वर्तमान न्यायाधीशों को अब तक आधिकारिक आवास नहीं मिल सका है।
यह विवादित बंगला 5 कृष्ण मेनन मार्ग पर स्थित है, जो टाइप-VIII श्रेणी का सरकारी आवास है और परंपरागत रूप से कार्यरत CJI के लिए आरक्षित होता है। चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त हुए थे। सरकारी नियमों के अनुसार, कोई भी सेवानिवृत्त CJI छह महीने तक टाइप VII श्रेणी के आवास में रह सकता है, लेकिन उन्होंने टाइप VIII में रहना जारी रखा।
सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने 1 जुलाई को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखा और साफ शब्दों में कहा कि अब यह बंगला तत्काल खाली करवाया जाए। चार वर्तमान न्यायाधीशों को अभी तक सरकारी आवास नहीं मिला है — कुछ अस्थायी फ्लैटों में रह रहे हैं और एक राज्य अतिथिगृह में।
जानकारी के अनुसार पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने पहले अपने उत्तराधिकारी, तत्कालीन CJI संजीव खन्ना को पत्र लिखकर 30 अप्रैल 2025 तक बंगले में रहने की अनुमति मांगी थी। उन्हें 5,430 रुपये मासिक लाइसेंस फीस पर यह अनुमति मिल गई थी। इसके बाद मौखिक रूप से 31 मई तक का विस्तार और दिया गया — लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि इसके बाद कोई और विस्तार नहीं मिलेगा। अब वह समय भी बीत चुका है, लेकिन पूर्व CJI अभी तक बंगले में रह रहे हैं, जिससे सुप्रीम कोर्ट प्रशासन के लिए लॉजिस्टिक संकट उत्पन्न हो गया है।
हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने इस देरी के पीछे व्यक्तिगत कारण बताए। उन्होंने कहा कि उन्हें एक नया घर आवंटित किया जा चुका है, लेकिन वह पिछले दो वर्षों से खाली पड़ा था और उसमें भारी मरम्मत की जरूरत थी। उन्होंने कहा, “मैंने सुप्रीम कोर्ट को सूचित कर दिया है… जैसे ही मरम्मत पूरी होती है, मैं अगले ही दिन शिफ्ट हो जाऊंगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि उनकी दो बेटियों को विशेष देखभाल की जरूरत है, क्योंकि उन्हें नेमालाइन मायोपैथी जैसी गंभीर अनुवांशिक बीमारियां हैं। उन्होंने कहा कि बंगले में लंबे समय तक रहने का फैसला पारदर्शिता और जिम्मेदारी की भावना के साथ लिया गया था। “मैं अपनी जिम्मेदारियों से भली-भांति परिचित हूं… यह केवल कुछ ही दिनों की बात है,” — पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़
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