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Friday, December 26, 2025
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सर्वदलीय प्रतिनिधीमंडल से युसूफ पठान का नाम लिया वापस !

पार्टी ने कहा – विदेश नीति सिर्फ केंद्र की जिम्मेदारी

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केंद्र सरकार द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और आतंकवाद के खिलाफ भारत की वैश्विक भूमिका को स्पष्ट करने के लिए गठित 59 सदस्यीय सर्वदलीय शिष्टमंडल को लेकर सियासी हलकों में नई बहस छिड़ गई है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इस प्रतिनिधीमंडल में शामिल किए गए अपने सांसद युसूफ पठान को प्रतिनिधिमंडल से हटाने का निर्णय लिया है। पार्टी ने साफ कहा है कि विदेश नीति केंद्र सरकार का विषय है और उसकी पूरी जिम्मेदारी भी केंद्र को ही लेनी चाहिए।

टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि “हम देश की सुरक्षा से जुड़ी हर पहल पर केंद्र सरकार का पूरा साथ देंगे। हम अपने सैनिकों पर गर्व करते हैं और हमेशा उनके आभारी रहेंगे। लेकिन विदेश नीति पूरी तरह केंद्र के अधीन है, इसलिए उसके संचालन का अधिकार और जवाबदेही भी उसी की होनी चाहिए।”

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, केंद्र सरकार की ओर से युसूफ पठान से सीधे संपर्क किया गया था, लेकिन उन्होंने वर्तमान में उपलब्ध नहीं होने की बात कही। इसके बाद पार्टी ने औपचारिक रूप से उन्हें प्रतिनिधिमंडल में शामिल न करने का फैसला कर लिया।

टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देकर कहा, “हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हम केंद्र सरकार के साथ हैं। पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर बेनकाब किया जाना चाहिए। लेकिन शिष्टमंडल में कौन जाएगा, यह हर पार्टी खुद तय करेगी — भाजपा नहीं।”

केंद्र सरकार ने हाल ही में 59 सदस्यों वाले एक विशेष शिष्टमंडल की घोषणा की है, जिसमें 51 सांसद और 8 राजनयिक शामिल हैं। इस शिष्टमंडल को 7 समूहों में विभाजित किया गया है, प्रत्येक का नेतृत्व अलग-अलग वरिष्ठ सांसदों को सौंपा गया है:

  • कांग्रेस से: शशि थरूर, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा
  • भाजपा से: रविशंकर प्रसाद, बैजयंत पांडा, अनुराग ठाकुर
  • अन्य दलों से: सुप्रिया सुले (राष्ट्रवादी कांग्रेस – शरद पवार गुट), कनिमोळी (डीएमके), श्रीकांत शिंदे (शिवसेना – एकनाथ गुट)
  • अन्य: असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM), प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना-UBT), गुलाम नबी आज़ाद, तेजस्वी सूर्या, एम.जे. अकबर आदि

इस प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य भारत के सैन्य और कूटनीतिक दृष्टिकोण को दुनिया के सामने पेश करना है, विशेष रूप से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में जो पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर केंद्रित था। टीएमसी के रुख से यह संकेत गया है कि पार्टी केंद्र की नीति निर्धारण के विरुद्ध खड़ी होने के लिए तैयार है, भले ही मुद्दा  राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की साख रखने का हो। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अन्य विपक्षी दल भी टीएमसी के रास्ते पर चलते हैं या शिष्टमंडल में भाग लेकर साझा राष्ट्रीय दृष्टिकोण को मजबूती देते हैं।

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