आठवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर देशभर में सशस्त्र बलों की गूंज सुनाई दी — लेकिन इस बार बंदूकों के शोर की नहीं, बल्कि ॐ के स्वर और योग के शांत प्रभाव की। भारतीय सेना, सीआईएसएफ और बीएसएफ ने देश के कोने-कोने में योगाभ्यास कर यह दिखा दिया कि भारत की सुरक्षा ताकत, अब आंतरिक संतुलन और मानसिक दृढ़ता से भी जुड़ी हुई है।
उत्तर में सियाचिन ग्लेशियर की बर्फीली चोटियों से लेकर लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील के किनारों तक भारतीय सैनिकों ने बर्फ के बीच योग कर एक अद्भुत मिसाल पेश की। -40 डिग्री तापमान में भी सेना के जवानों ने वृक्षासन, ताड़ासन और प्राणायाम जैसे योगाभ्यास किए।
पूर्व में अरुणाचल प्रदेश के किबिथू, दक्षिण में पोर्ट ब्लेयर और पश्चिम में कच्छ के रण तक जवानों ने अलग-अलग प्राकृतिक और सामरिक हालातों में योग करते हुए संदेश दिया कि योग अब केवल अभ्यास नहीं, बल्कि एक रणनीतिक जीवनशैली है।
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) ने पूरे जून महीने को योग से जोड़ा। 430 से अधिक यूनिट्स और फॉर्मेशन में नियमित योग सत्र आयोजित किए गए। शनिवार (21 जून) को दिल्ली के सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित मुख्यालय में 100 से अधिक कर्मियों ने सामूहिक योगाभ्यास किया, जिसका नेतृत्व अतिरिक्त महानिदेशक पद्माकर रणपिसे ने किया।
CISF ने इस साल की थीम “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग” को अपनाते हुए कहा, “योग सिर्फ व्यायाम नहीं, बल्कि अनुशासन, मानसिक केंद्रितता और सहनशीलता का विज्ञान है।” इन सत्रों में जवानों के साथ‑साथ उनके परिवार, स्कूली छात्र और आम नागरिक भी शामिल हुए, जिससे योग का सामाजिक विस्तार भी दिखा।
सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को पूरे जोश से मनाया। पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा, खासतौर पर वाघा-अटारी बॉर्डर और हुसैनीवाला बॉर्डर पर भव्य योग कार्यक्रम आयोजित किए गए। आईजी अतुल फुलजले के नेतृत्व में सैकड़ों जवानों के साथ सीमावर्ती गांवों के नागरिक, बच्चे, खेल जगत की हस्तियाँ और पद्म पुरस्कार विजेता भी योग सत्र में शामिल हुए।
योग दिवस 2025 ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारतीय सुरक्षाबल अब न केवल बाहरी खतरों से, बल्कि आंतरिक असंतुलन और मानसिक तनाव से भी मुकाबला करने के लिए तैयार हैं — और उनका सबसे बड़ा हथियार है योग। बर्फीली चोटियाँ, रेगिस्तानी रण, घने जंगल या समुद्र का किनारा — जहां तिरंगा है, वहां अब योग की शांति भी है। यह भारत की नई सामरिक और सांस्कृतिक ताकत का प्रतीक है — एक ऐसा देश जो युद्ध भी जानता है और ध्यान भी।
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