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पुण्यतिथि विशेष: हिंदू एकता और राष्ट्रीय चेतना के महान स्तंभ

डॉ. हेडगेवार का कांग्रेस से भी जुड़ाव रहा। 1920 में नागपुर कांग्रेस अधिवेशन में उन्होंने संपूर्ण स्वराज का प्रस्ताव रखा, जो उस समय पारित नहीं हुआ। 1930 में उन्होंने नमक सत्याग्रह में भाग लिया और 9 महीने जेल में भी रहे।

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भारतीय आधुनिक राष्ट्रीयत्व के प्रवर्तक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार की आज पुण्यतिथि है। 21 जून 1940 को नागपुर में उनका निधन हुआ था, लेकिन उनके विचार और संगठन आज भी भारतीय समाज को दिशा देने वाले स्तंभ बने हुए हैं।

1 अप्रैल 1889 को नागपुर के एक साधारण परिवार में जन्मे केशव हेडगेवार बचपन से ही ब्रिटिश राज के खिलाफ विद्रोही मनोवृत्ति के थे। महज़ आठ वर्ष की उम्र में, जब स्कूल में रानी विक्टोरिया की जयंती पर मिठाई बांटी गई, उन्होंने उसे गुलामी का प्रतीक मानकर कूड़े में फेंक दिया। 1908 में उन्होंने स्कूल में अंग्रेज़ अधिकारी के सामने ‘वंदे मातरम्’ का नारा लगाया, जिससे उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया।

Sangh- In and Out : Dr Hedgewar- A heroic saga! - NewsBharati


डॉ. हेडगेवार ने कोलकाता मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई की, लेकिन उनकी दृष्टि केवल चिकित्सा नहीं, बल्कि राष्ट्र सेवा पर थी। कोलकाता में वे अनुशीलन समिति और युगांतर जैसे क्रांतिकारी संगठनों से जुड़कर ‘केशव चक्रवर्ती’ के नाम से काकोरी कांड जैसे अभियानों में सक्रिय रहे।

जल्द ही उन्होंने महसूस किया कि केवल सशस्त्र संघर्ष से भारत को आज़ादी नहीं मिलेगी। उन्होंने अपने जीवन की दिशा मोड़ी और 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना की।

राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ की स्थापने के पिछे डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करना था, ताकि समाज में आपसी एकता और शक्ति का विकास हो सके। उनका प्रयास था कि समाज में राष्ट्रभक्ति और अनुशासन की भावना गहराई से स्थापित की जाए, जिससे एक सशक्त और जिम्मेदार नागरिक समाज का निर्माण हो। इसके साथ ही, वे भारत की सांस्कृतिक पहचान को पुनर्स्थापित करना चाहते थे, जो विदेशी शासन के प्रभाव से धुंधली हो गई थी।

हेडगेवार ने शाखा प्रणाली की नींव रखी, जिसके ज़रिए उन्होंने लाखों स्वयंसेवकों को संगठित किया। वह स्वयंसेवकों से व्यक्तिगत रूप से जुड़े रहते थे, उनके घर जाते, परिवारों को संगठन से जोड़ते—जिससे संघ का सामाजिक आधार मजबूत होता गया। आज आरएसएस दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन माना जाता है।
KB Hedgewar had changed the way Hindus should look at themselves


डॉ. हेडगेवार का कांग्रेस से भी जुड़ाव रहा। 1920 में नागपुर कांग्रेस अधिवेशन में उन्होंने संपूर्ण स्वराज का प्रस्ताव रखा, जो उस समय पारित नहीं हुआ। 1930 में उन्होंने नमक सत्याग्रह में भाग लिया और 9 महीने जेल में भी रहे।

21 जून 1940 को उनका निधन हुआ, लेकिन जाने से पहले उन्होंने गुरु गोलवलकर को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया। आज उनकी पुण्यतिथि पर राष्ट्र उन्हें हिंदू एकता के प्रणेता के रूप में श्रद्धांजलि अर्पित करता है। उनके विचार, संगठन कौशल और त्याग ने भारत को केवल आज़ादी के लिए नहीं, सांस्कृतिक जागरण और राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की राह पर भी प्रेरित किया। डॉ. हेडगेवार का जीवन इस बात का प्रमाण है कि एक विचार, जब सशक्त संगठन में ढलता है, तो वह इतिहास को बदल सकता है।

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