ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते युद्ध के बीच अमेरिकी राष्ट्रपती डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से ईरान को बातचीत के लिए 2 सप्ताह का समय दिया गया है, जिसमें ईरान के साथ वार्ता करते हुए उन्हें परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए मनाने की कोशिश की जानी है। इसी कोशिश के जरिए ट्रम्प युद्ध के कदमों को धीमें करते दिख रहें है। दरम्यान इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शुक्रवार (20 जनवरी)को बड़ा बयान देते हुए कहा कि इज़राइल को अमेरिका से किसी ‘ग्रीन सिग्नल’ की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि चाहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप साथ दें या नहीं, इज़राइल ईरान की सभी परमाणु साइटों को खत्म कर देगा।
नेतन्याहू ने इज़राइली प्रसारक KAN को दिए एक हिब्रू इंटरव्यू में कहा, “हम अपने सभी सैन्य उद्देश्यों को पूरा करेंगे और ईरान की सभी परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाएंगे। हमारे पास यह क्षमता है।” उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका इसमें शामिल हो या नहीं, यह उसका निर्णय है वो अमेरिका के लिए जो सही है, वो करेंगे, और मैं इज़राइल के लिए जो सही है, वो करूंगा। हमें किसी विदेशी ताकत की अनुमति नहीं चाहिए।
इज़राइल पहले ही ईरान की कई अहम परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले कर चुका है—जिनमें नतांज़ का संवर्धन केंद्र, तेहरान के आसपास के सेंट्रीफ्यूज वर्कशॉप, इस्फहान का न्यूक्लियर साइट और ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्चर शामिल हैं।
शुक्रवार (20 जनवरी) तड़के इज़राइली मिसाइलें रश्त शहर तक पहुंचीं, जो कैस्पियन सागर के पास स्थित है। ईरानी मीडिया ने बताया कि रश्त के औद्योगिक क्षेत्र में लोगों को भागने की चेतावनी दी गई थी, लेकिन इंटरनेट बंद होने के चलते कितनों को यह सूचना मिली, यह स्पष्ट नहीं है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह दो हफ्तों के भीतर फैसला करेंगे कि अमेरिका इस युद्ध में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप करेगा या नहीं। CNN की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप लगातार दुविधा में हैं—कभी ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला खामेनेई की हत्या की बात करते हैं, तो कभी ‘बिना शर्त समर्पण’ की मांग रखते हैं। व्हाइट हाउस ने अब तक फोर्डो की भूमिगत न्यूक्लियर साइट को ‘बंकर-बस्टर’ हमलों से निशाना बनाने की संभावनाओं पर विचार किया है, लेकिन लंबी लड़ाई के खतरे को लेकर ट्रंप और उनके सलाहकारों में मतभेद हैं।
दूसरी ओर, ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने इज़राइल को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि तेहरान हर हमले का “तीखा जवाब” देगा। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि ईरान किसी भी प्रकार का समर्पण या जबरन थोपे गए युद्धविराम स्वीकार नहीं करेगा। ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, हालांकि वह 60% तक यूरेनियम संवर्धन कर चुका है—जो कि हथियार-स्तर के 90% के बेहद करीब है।
13 जून से जारी इस युद्ध में अब तक इज़राइली हवाई हमलों में 639 ईरानी नागरिकों और सैन्य अधिकारियों की मौत हो चुकी है, जिसमें कई वरिष्ठ सैन्य कमांडर और परमाणु वैज्ञानिक भी शामिल हैं। वहीं, ईरानी मिसाइल हमलों में कम से कम दो दर्जन इज़राइली नागरिकों की मौत हुई है। इस टकराव ने पूरे मध्य-पूर्व को अस्थिरता की ओर धकेल दिया है। अमेरिका अब कूटनीति और सैन्य विकल्पों के बीच झूल रहा है, जबकि इज़राइल ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वह अकेले भी युद्ध लड़ने को तैयार है।
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