मुंबई। चेंबूर के सिंधी कैंप में सिंधी समाज का चालीस दिवसीय झूलेलाल महोत्सव गत 16 जुलाई से शुरू हो गया है। वरुण देवता के नाम से विख्यात यह पर्व आगामी २५ अगस्त तक चलेगा। हालांकि पिछले डेढ़ साल से देश भर में चल रहे कोरोना संक्रमण को देखते हुए सिंधी समुदाय के लोगों द्वारा सरकार की ओर से जारी की गई गाइड लाइन का पालन करते हुए यह पर्व बगैर भीड़भाड़ के बेहद सादगी से मनाया जा रहा है।
बता दें कि सिंधी समाज जो कि भारत देश में व्यापार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। चालीस दिवसीय झूलेलाल महोत्सव उनकी आस्था और श्रद्धा से जुड़ा हुआ है। खास बात यह है कि भगवान झूलेलाल जल के देवता हैं। इन्होंने प्राचीन समय में सिंध प्रदेश में वहां के हिंदुओं पर किए जा रहे अत्याचार से मुक्ति दिलाई थी। इस कारण सिंधी समाज की ओर से यह पर्व काफी श्रद्धा से मनाया जाता है। थाने के उल्हासनगर के बाद अब यह पर्व मुंबई उपनगर के चेंबूर, मुलुंड और कुर्ला में भी मनाया जाने लगा है। चेंबूर के जाने माने समाजसेवी और झूलेलाल महोत्सव के संयोजक रमेश लोहाना ने बताया कि चार दशक पूर्व चेंबूर में इस पर्व की शुरुवात उनके चाचा पीतम चंद चेलानी द्वारा की गई थी उनके बाद अब इस परंपरा को आगे बढ़ाने का कार्य स्वयं वे कर रहे हैं।
रमेश लोहाना ने इस पर्व के महत्व के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पुराने जमाने में सिंधी समाज के लोग अपना व्यापार जल मार्ग से करते थे जिसके कारण उनकी पत्नियां अपने पति की सकुशल वापसी के लिए जल देवता का पूजा करती थी। सिंधी समाज आज अपनी पहचान व संस्कृति इस महोत्सव के जरिए बनाए हुए हैं। रमेश लोहाना ने बताया कि गत सोलह जुलाई से शुरू हुए झूलेलाल का महोत्सव कोरोना लॉकडाउन के कारण बहुत ही सादगी से मनाया जा रहा है। बगैर भीड़भाड़ के शाम होते ही चेंबूर के आशिष तालाब पर पूजा अर्चना और आरती करके झूलेलाल महोत्सव नियमित रूप से मनाया जा रहा है।