अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में कई अहम बदलावों को मंजूरी दी है, जिनमें टेस्ट क्रिकेट में स्टॉप क्लॉक नियम की शुरुआत, सीमित ओवरों में वाइड बॉल के नए मापदंड, और डिसीजन रिव्यू सिस्टम (DRS) में तकनीकी संशोधन शामिल हैं। यह बदलाव खेल की गति, निष्पक्षता और पारदर्शिता को बेहतर बनाने की दिशा में उठाए गए हैं।
टेस्ट क्रिकेट में अब फील्डिंग टीम को हर ओवर के खत्म होने के 60 सेकंड के भीतर अगला ओवर शुरू करना होगा। दो बार चेतावनी मिलने के बाद तीसरी बार उल्लंघन पर पांच रन की पेनल्टी लगेगी। यह नियम आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2025–27 चक्र के दौरान लागू कर दिया गया है।
वहीं, सीमित ओवरों के क्रिकेट में वाइड बॉल को लेकर भी नई व्यवस्था लागू की जा रही है। अक्टूबर 2025 से शुरू होने वाली छह महीने की ट्रायल अवधि के तहत अब बल्लेबाज़ की उस समय की वास्तविक स्थिति को वाइड बॉल की गणना में प्राथमिकता दी जाएगी, जब गेंद फेंकी जा रही हो। इससे पहले बल्लेबाज़ के मूवमेंट को लेकर गेंदबाज़ों को नुकसान उठाना पड़ता था, जिसे अब संतुलित किया गया है।
आईसीसी ने थूक के इस्तेमाल को लेकर भी नियमों में बदलाव किया है। अब यदि गेंद पर थूक लगने की स्थिति में गेंद की स्थिति यदि सामान्य पाई जाती है, तो गेंद को बदलना अनिवार्य नहीं होगा। हालांकि, जानबूझकर ऐसा करने पर बल्लेबाजी टीम को पांच रन पेनल्टी दी जाएगी।
डीआरएस को लेकर सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह किया गया है कि यदि बल्लेबाज़ को ‘कैच आउट’ दिया गया है और वह रिव्यू लेता है, तो अब LBW की समीक्षा में ‘अंपायर कॉल’ आने की स्थिति में बल्लेबाज़ आउट माना जाएगा। पहले ऐसी स्थिति में बल्लेबाज़ को नॉट आउट माना जाता था।
इसके अलावा, अब यदि एक ही गेंद पर दो अलग-अलग प्रकार की अपील होती हैं—जैसे LBW और रन आउट—तो टीवी अंपायर घटनाओं को क्रमवार तरीके से देखेगा। यदि पहली घटना में बल्लेबाज़ आउट होता है, तो दूसरी पर कोई फैसला नहीं लिया जाएगा क्योंकि गेंद मृत घोषित कर दी जाएगी।
नो-बॉल पर कैच की वैधता की भी अब जांच की जाएगी, जो पहले नहीं होती थी। इसके अलावा जानबूझकर शॉर्ट रन लेने पर पांच रन की पेनल्टी जारी रहेगी, लेकिन अब फील्डिंग टीम तय करेगी कि अगली गेंद पर स्ट्राइक पर कौन बल्लेबाज़ रहेगा।
आईसीसी ने घरेलू फर्स्ट क्लास क्रिकेट में गंभीर चोट की स्थिति में ‘फुल टाइम रिप्लेसमेंट’ की सुविधा देने का प्रस्ताव भी रखा है, जिससे ऐसे खिलाड़ी की जगह एक वैकल्पिक खिलाड़ी पूरे मैच में खेल सकेगा, बशर्ते चोट बाहरी रूप से स्पष्ट हो।
ये सभी बदलाव आधुनिक क्रिकेट को और अधिक अनुशासित, सुरक्षित और दर्शकों के लिए रोचक बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। ICC का यह कदम खेल को तकनीकी रूप से भी अधिक उन्नत बनाने की दिशा में सराहनीय पहल के रूप में देखा जा रहा है।
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