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Tuesday, May 20, 2025
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आनुवंशिक बीमारियों की पहचान और इलाज में क्रांतिकारी साबित होगा AI

भविष्य में ऐसे AI टूल विकसित किए जा सकते हैं जो किसी भी व्यक्ति के जीनोम की प्रोफाइल देखकर यह बता सकें कि उसे किस तरह का इलाज सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाएगा।

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अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) सिर्फ तकनीकी दुनिया तक सीमित नहीं रही। हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, AI जल्द ही गंभीर आनुवंशिक बीमारियों की पहचान और उनके इलाज में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। यह शोध ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (ANU) के वैज्ञानिकों ने किया है और इसे ‘नेचर कम्युनिकेशन्स’ नामक प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

इस अध्ययन का उद्देश्य इलाज को ज्यादा सटीक और मरीज-विशेष की जरूरतों के अनुसार अनुकूल बनाना है। शोधकर्ताओं ने इसके लिए एआई आधारित प्रोटीन मॉडलिंग और जीनोम सीक्वेंसिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को एकीकृत किया। खासतौर पर गूगल की डीपमाइंड कंपनी द्वारा विकसित ‘AlphaFold’ टूल का इस्तेमाल कर यह समझने की कोशिश की गई कि मानव जीन में बदलाव (mutation) स्वास्थ्य पर कैसे असर डालते हैं।

अध्ययन के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. डैन एंड्रयूज ने बताया कि समय के साथ प्राकृतिक चयन ने हमारे शरीर के कुछ जरूरी प्रोटीनों को इस तरह ढाल दिया है कि वे हानिकारक म्यूटेशन को सहन कर सकें। लेकिन जिन प्रोटीनों की भूमिका अपेक्षाकृत कम है, वे ऐसे म्यूटेशन के सामने कमजोर साबित होते हैं और वहीं से गंभीर बीमारियों की शुरुआत हो सकती है।

शोध में यह भी सामने आया कि कई बार वे जीन जिनके बारे में पहले यह समझा जाता था कि वे ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हैं, वही बीमारियों का कारण बन जाते हैं। यही कारण है कि जीनोम के स्तर पर चल रही हलचल को समझना और AI से उसकी व्याख्या करना अत्यंत आवश्यक हो गया है।

यह अध्ययन न सिर्फ एकल जीन संबंधी बीमारियों, बल्कि उन रोगों पर भी लागू होता है जिनमें कई जीनों में बदलाव होते हैं। AI इन बदलावों के प्रभाव को मापने में सक्षम है और यह पता लगा सकता है कि कौन-सा जीन अपने कार्य में विफल हो रहा है।

डॉ. एंड्रयूज के अनुसार, “हमारा लक्ष्य एक ऐसा स्वचालित AI सिस्टम तैयार करना है, जो व्यक्ति के आनुवंशिक और पैथोलॉजिकल डाटा के आधार पर सटीक और प्रभावी इलाज का सुझाव दे सके।”

इस शोध से भविष्य में ऐसे AI टूल विकसित किए जा सकते हैं जो किसी भी व्यक्ति के जीनोम की प्रोफाइल देखकर यह बता सकें कि उसे किस तरह का इलाज सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाएगा। यह पर्सनलाइज्ड मेडिसिन की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

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