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Friday, September 20, 2024
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‘दौरेबाज’ उद्धव, फिर क्यों नाराज कोंकणवासी ?

उद्धव ठाकरे ने ऐलान किया है कि वह अगले महीने कोंकण दौरे पर जाएंगे।

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शेक्सपीयर ने कहा था कि नाम में क्या रखा है, लेकिन अब तो आम आदमी भी जान गया है कि नाम में बहुत कुछ है। शिवसेना का नाम और सिंबल किसके पास है, इसे लेकर कई दिनों से विवाद चल रहा था। अंत में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिवसेना का नाम और चिन्ह दोनों मिला। इन तमाम घटनाक्रमों के बाद अब उद्धव ठाकरे एक बार फिर महाराष्ट्र में जीत दर्ज करने करने को तैयार हैं। दरअसल उन्होंने पुनः ऐलान किया है कि वह अगले महीने कोंकण दौरे पर जाएंगे। वहीं इससे पहले भी, शिंदे और 40 विधायकों के शिवसेना से अलग होने के बाद उन्होंने महाराष्ट्र दौरे की घोषणा की थी लेकिन उन्होंने कभी भी इस बात को अमल में नहीं लाया। अब अगले महीने उद्धव ठाकरे होली में कोंकण दौरे पर जाएंगे।

वास्तव में, मुख्यमंत्री के रूप में अपने ढाई साल के दौरान उद्धव ठाकरे कभी भी अपने घर से बाहर नहीं निकले। वह मंत्रालय भी नहीं गए। लेकिन अब उन्हें पार्टी निर्माण के लिए चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। हालांकि उन पर अब तक पार्टी निर्माण के लिए महाराष्ट्र के बाहर जाने की नौबत कभी नहीं आई। चुनाव से पहले जगह-जगह जाकर बैठकें करना तो अलग बात थी, लेकिन आज पार्टी टूटने के बाद उन्हें बंटवारे से बचने के लिए राज्य का दौरा करना पड़ रहा है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

वहीं शिंदे के अलग होने की वजह थी कि पार्टी प्रमुख के तौर पर उद्धव ठाकरे उनके सवालों और समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे थे। जिस वजह से नाराजगी बढ़ती ही जा रही थी। इसलिए अब जब सब कुछ हाथ से निकल चुका है तो उद्धव ठाकरे को लगता है कि उन्हें लोगों से मिलना चाहिए, उनकी समस्याओं को जानना चाहिए और उन पर चर्चा करनी चाहिए। देर हो चुकी है इसका उन्हें एहसास हो गया है। वस्तुतः प्रत्येक राजनीतिक दल के नेता अपने दल की वृद्धि, पार्टी की शक्ति और संगठन को मजबूत बनाए रखने के लिए कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और जनता से संवाद करते हैं। उनमें से ज्यादातर लोगों को पता होगा कि हम सहानुभूति तभी हासिल कर सकते हैं जब हम उनसे बात करें, उनसे घुलें-मिलें।

याद भी नहीं है कि कब उद्धव ठाकरे सभा करने के लिए शिवसेना भवन गए थे। लेकिन अब वे वहीं पर बैठने लगे। कोरोनाकाल में घर बैठकर राज्य के मामलों को चलाने वाले मुख्यमंत्री के रूप में उनकी आलोचना खूब की गई थी। इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र के दौरे का ऐलान किया है। ऐलान किया गया है कि वह अपने कोंकण दौरे की शुरुआत गांव से करेंगे। क्यूंकी उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनाने से पहले वे कोंकण आए थे।

उद्धव ठाकरे ने कोंकण के गांवों का दौरा किया। लेकिन उस समय उनकी आलोचना की गई यह कहकर कि यह कोंकण यात्रा नहीं बल्कि पर्यटन यात्रा है। दरअसल कोंकण में आए चक्रवाती तूफान के बाद उद्धव ठाकरे वहाँ निरीक्षण करने गए। एक तूफान भी चार घंटे तक रुकता है। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे वहाँ तीन घंटे भी नहीं रुके, उस समय भी उनकी खूब आलोचना हुई थी यह कहकर कि उद्धव ठाकरे जमीन पर पैर रखने आए थे। कोंकण में बाढ़ आने पर भी उद्धव ठाकरे वहां गए थे। लेकिन वहाँ भी उन्हें स्थानीय लोगों का गुस्सा झेलना पड़ा।

लेकिन सवाल यह है कि अब उद्धव ठाकरे इस दौरे से क्या हासिल करना चाहते है? इस दौरे के पीछे उनका सटीक उद्देश्य क्या है? क्या आप अपना पार्टी संगठन बनाना चाहते हैं, या सिर्फ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके साथ गए विधायकों और सांसदों को देशद्रोही कहकर बदनाम करना चाहते हैं? अगर उद्धव ठाकरे का सिर्फ यही मकसद है तो इसमें नयापन क्या है। यही करना है तो आप मातोश्री में बैठकर यह काम कर सकते है। उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और संजय राउत पत्रकारों के सामने एकनाथ शिंदे पर केवल कीचड़ उछाल रहे हैं।

संजय राउत के नासिक दौरे के दौरान पदाधिकारी शिंदे गुट में घुस गए। इसको लेकर कहा गया कि राउत के नासिक आने से पहले ही शिंदे गुट ने पूर्व नियोजित कार्यक्रम बना लिया था। वहीं इससे पहले सुषमा अंधारे के नेतृत्व में महाप्रबोधन यात्रा निकाली गई। इस यात्रा के दौरान पार्टी के अँधेरे को दूर न करके एकनाथ शिंदे और उनके समूह पर आक्रमण किया गया। इसका अर्थ शिंदे गुट को अपमान करने के एकमात्र उद्देश्य से यह यात्रा निकाली गयी।

इसमें कुछ भी अलग या नया नहीं था। शिव संपर्क यात्रा के जरिए आदित्य ठाकरे भी कई जगहों पर गए लेकिन वहां भी उनका मकसद एकनाथ शिंदे की आलोचना करना था। उद्धव ठाकरे को घर छोड़ देना चाहिए, आदित्य ठाकरे को भी घर छोड़ देना चाहिए। उन्हें अलग-अलग यात्राएं करनी चाहिए। इस यात्रा के दौरान आप आम लोगों से संपर्क करें, उनके बाधाओं को जानें। लेकिन यह तस्वीर आज तक कहीं नजर नहीं आई। हर बैठक में प्रेस के सामने शिंदे गुट को बदनाम करने का मकसद नजर आता है। इन सारी घटनाओं के बाद भी उद्धव गुट के दौरे में कुछ नया देखने नहीं मिलता। दरअसल उन्हें उम्मीद रही होगी कि एकनाथ शिंदे और उनके साथ के विधायकों की आलोचना करने से उनकी पार्टी मजबूत होगी। लेकिन कोंकण के लोग राजनीति को अलग नजरिए से देखते हैं। वहीं यदि उद्धव ठाकरे इन सब से हटकर भी कोंकण वासियों को कुछ अलग देते हैं, तो वे वहाँ के लोगों की विचारधारा में कोई बदलाव नहीं होगा।

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