छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में बुधवार (14 मई) को सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा अभियान चलाते हुए कर्रेगुट्टा पहाड़ी क्षेत्र में 31 नक्सलियों को मार गिराया है। यह संयुक्त ऑपरेशन दुर्गम इलाके में अंजाम दिया गया, जिसमें भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किए गए।
सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, कर्रेगुट्टा पहाड़ छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित है और यह नक्सल संगठनों की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है। इसी इलाके में पीएलजीए बटालियन 1, डीकेएसजेडसी, टीएससी और सीआरसी जैसे बड़े नक्सल संगठनों का यूनिफाइड हेडक्वार्टर मौजूद था, जहां रणनीतिक योजनाएं बनती थीं और प्रशिक्षण दिया जाता था।
सुरक्षा बलों ने कुल 214 नक्सली बंकरों को नष्ट कर दिया है। माओवादियों की लगभग 4 तकनीकी इकाइयां नष्ट कर दी गई हैं, जिनमें 4 लेथ मशीनें और बीजीएल लांचर तथा नक्सलियों का एक बीजीएल सेल शामिल है। नक्सलवादी इन्हें खराद मशीनों का उपयोग करके बनाते थे।
इस ऑपरेशन की सफलता पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा बलों को बधाई देते हुए कहा, “नक्सल फ्री भारत के संकल्प में यह ऐतिहासिक सफलता है। जिस पहाड़ पर कभी लाल आतंक का झंडा लहराता था, वहां आज तिरंगा फहरा रहा है।” उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन केवल 21 दिनों में पूरा किया गया और सबसे अहम बात यह रही कि इसमें सुरक्षा बलों को कोई जानहानि नहीं हुई।
सीआरपीएफ के डीजी ने बताया कि नक्सल विरोधी अभियान की शुरुआत 2014 में हुई थी, लेकिन 2019 के बाद इसे विशेष रणनीतिक दिशा मिली। संयुक्त प्रशिक्षण और बेहतर समन्वय के चलते सुरक्षाबलों की कार्रवाई में तीव्रता आई है। उन्होंने बताया कि जहां 2014 में देश के 35 जिले नक्सल हिंसा से प्रभावित थे, वहीं 2025 तक यह संख्या घटकर केवल 6 जिलों तक सीमित रह गई है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने का संकल्प लिया है। उन्होंने देशवासियों से कहा, “मैं पुनः विश्वास दिलाता हूं कि 31 मार्च 2026 तक भारत नक्सल मुक्त हो जाएगा।”
सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन को खुफिया एजेंसियों के सहयोग से योजनाबद्ध रूप से अंजाम दिया गया था। कर्रेगुट्टा जैसे दुर्गम और जोखिमपूर्ण इलाकों में सफल कार्रवाई सुरक्षा बलों की सूझबूझ, रणनीति और साहस का परिचायक है।
सीआरपीएफ, डीआरजी और एसटीएफ की इस संयुक्त सफलता को नक्सलियों की कमर तोड़ने वाला कदम माना जा रहा है। प्रशासन के अनुसार, अभियान के बाद क्षेत्र में गश्त और निगरानी को और अधिक मजबूत किया गया है ताकि पुनर्संगठन की किसी भी कोशिश को रोका जा सके।
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