ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता और भारत के सबसे चहेते एथलीटों में से एक, नीरज चोपड़ा को भारतीय सेना में नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। देश का मान बढ़ाने वाले इस भाला फेंक खिलाड़ी को अब टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि दी गई है। सेना के इस सम्मान ने एक बार फिर साबित कर दिया कि नीरज सिर्फ एक एथलीट नहीं, बल्कि भारत के आत्मबल और समर्पण के प्रतीक बन चुके हैं।
नीरज चोपड़ा पहले ही भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत थे और अब उन्हें इस नई मान्यता के साथ भारतीय युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्वरूप खड़ा कर दिया गया है। टोक्यो ओलंपिक 2020 में नीरज ने 87.58 मीटर दूर भाला फेंक कर स्वर्ण पदक जीतकर भारत के एथलेटिक्स इतिहास में एक नया अध्याय लिखा था। यह उपलब्धि उन्हें ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाला भारत का पहला खिलाड़ी बनाती है। इसके बाद 2024 पेरिस ओलंपिक में उन्होंने रजत पदक जीतकर अपनी निरंतरता भी साबित की।
खेल जगत की इन असाधारण उपलब्धियों के बीच नीरज का सेना से जुड़ाव हमेशा खास रहा है। उनकी यह पदोन्नति न केवल सम्मान का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारतीय सेना प्रतिभा और राष्ट्रप्रेम का उचित आदर करना जानती है। खेलों में अनुशासन, निष्ठा और लगन – ये सभी गुण उन्हें भारतीय सेना की संस्कृति से जोड़ते हैं।
नीरज के आगामी खेल कार्यक्रमों की बात करें तो वे 16 मई को दोहा डायमंड लीग में हिस्सा लेंगे। इसके बाद 23 मई को पोलैंड के चोरजोव में आयोजित होने वाली 71वीं ओरलेन जानुस्ज कुसोसिन्सकी मेमोरियल प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे। यह इस सीजन का उनका तीसरा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट होगा। दोहा में उनका मुकाबला ग्रेनाडा के विश्व चैंपियन एंडरसन पीटर्स से एक बार फिर होगा — यह वही प्रतियोगिता है जहां नीरज ने 2023 में 88.67 मीटर के थ्रो के साथ खिताब जीता था और 2024 में 88.36 मीटर के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे।
पोलैंड में उन्हें जर्मनी के जूलियन वेबर, पोलैंड के मार्सिन क्रुकोवस्की, और साइप्रस व चेक गणराज्य के शीर्ष खिलाड़ियों की चुनौती का भी सामना करना होगा। हालांकि इससे पहले वे बेंगलुरू में प्रस्तावित एनसी क्लासिक की मेजबानी करने वाले थे, लेकिन भारत-पाक सैन्य टकराव के चलते यह आयोजन स्थगित कर दिया गया।
नीरज चोपड़ा न केवल भाला फेंकते हैं, बल्कि हर बार वह उम्मीदों की एक नई ऊंचाई को भी पार करते हैं। अब एक सैनिक की नई भूमिका के साथ, वह मैदान के बाहर भी उतनी ही मजबूती से देश का झंडा बुलंद कर रहे हैं।
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