पंजाब के अमृतसर जिले के मजीठा विधानसभा क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से कम से कम 14 लोगों की मौत ने राज्यभर में हड़कंप मचा दिया है। इस हृदयविदारक घटना पर मुख्यमंत्री भगवंत मान और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गहरा शोक जताते हुए दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखते हुए घटना को “कत्ल” करार दिया। उन्होंने कहा, “मजीठा के आसपास के गांवों में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत की दुखद खबर मिली है। मासूम लोगों के इन हत्यारों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। ये मौतें नहीं, कत्ल हैं… दोषियों को कानून के मुताबिक सख्त से सख्त सजा दी जाएगी।” उन्होंने दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए आश्वासन दिया कि पंजाब सरकार पीड़ित परिवारों के साथ हर संभव मदद करेगी।
वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी ‘एक्स’ पर लिखा, “मजीठा में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हुई है। इसमें जो लोग भी शामिल हैं, वे चाहे कितने भी रसूख वाले क्यों न हों… उन्हें सख्त से सख्त सजा मिलेगी। भगवान मृतकों के परिवार को शक्ति दे और आत्माओं को शांति दे।”
इस पूरे मामले पर अमृतसर की डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी ने प्रेस से बातचीत में बताया कि जहरीली शराब से मजीठा क्षेत्र के पांच गांव प्रभावित हुए हैं और अब तक 14 मौतों की पुष्टि हो चुकी है। “करीब छह अन्य लोग अस्पताल में भर्ती हैं। हम घर-घर जाकर मेडिकल जांच कराने की अपील कर रहे हैं क्योंकि शराब का असर 24 से 48 घंटे तक रह सकता है।” उन्होंने जनता से अपील की कि वे ऐसे पदार्थों को न खरीदें और सतर्क रहें।
पंजाब पुलिस ने इस मामले में तेज़ कार्रवाई करते हुए मास्टरमाइंड प्रभजीत सिंह सहित कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में कुलबीर सिंह उर्फ जग्गू, साहिब सिंह उर्फ सराय (निवासी मारड़ी कलां), गुर्जंत सिंह और निंदर कौर (निवासी थीरेंवाल) शामिल हैं। अमृतसर ग्रामीण के एसएसपी ने इन गिरफ्तारियों की पुष्टि करते हुए बताया कि जांच जारी है और किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा।
मजीठा की यह त्रासदी राज्य में अवैध शराब के व्यापार और उससे जुड़े संगठित अपराध की गंभीरता को उजागर करती है। मृतकों के परिजनों में मातम पसरा हुआ है और स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार अपनी सख्त घोषणाओं को धरातल पर कैसे उतारती है।
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