भारतीय जनता पार्टी का पुनरुत्थान गुजरात राज्य से हुआ—गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश यह राज्य हमेशा भाजपा से भाजपा के साथ रहे,हिंदुत्व विचारधारा का एक मजबूत हाथ इन राज्यों पर रहा है, लेकीन इन सभी राज्यों में सुरक्षा के लिहाज से देखा जाए तो गुजरात काफी आगे निकल चूका है। इसी प्रकार महाराष्ट्र में भी शतकों से हिंदुत्व विचारधारा की परंपरा रही है, सरकारें न रही हो लेकीन हिंदुत्व मत हमेशा लोकप्रिय रहा है। वहीं आज कहना पड़ रहा है की महाराष्ट्र जैसे हिंदुत्व आंदोलन की जननी रहने वाले राज्य से गुजरात आगे निकल रहा है।
आज गुजरात के अहमदाबाद में चंदौली झील इलाके में वर्षों से जमा बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ राज्य प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने संयुक्त रूप से बड़ा अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया। यहां कारवाई की मांग सुप्रीम कोर्ट ने बहुत पहले की थी। इस कार्रवाई में 80 जेसीबी और 60 डंपर खड़े किए गए, जिससे इलाके में बनी अवैध बस्तियों को जमींदोज किया गया। इस कारवाई के दरम्यान 1500 से 2000 अवैध घर तोड़ें गए। इससे एक दिन पहले इसी इलाके से 890 लोगों को हिरासत में लिया गया, जिनमें 143 घुसपैठिए बांग्लादेशी मुस्लिम पाए गए है।
आप इस अभियान से इसकी व्यापकता ध्यान में लीजिए यह की एक दिन पहले यहां लाइट तोड़ी गई और पुलिस ने अपना इन्वेस्टिगेशन यहां रात में शुरू किया। अभियान के दौरान शहर के पुलिस कमिश्नर भी विजीट कर गए।
इस अभियान के दौरान सबसे महत्वपूर्ण बात सामने आयी है की यह इलाका बांग्लादेशी घुसपैठिए मुसलमानों का गढ़ था। इस कार्रवाई के दौरान एक घर में देशी शराब का गोदाम मिला है। यहां फर्जी दस्तावेज, मिलावटी व्यापर, गुनहगारी जैसी गंदगी फल-फूल रही थी। इस फलती-फूलती गंदगी का माली था लाला बिहारी !
लाला बिहारी का असली नाम है, महमूद पठान! यह लाला फ़िलहाल फरार है और इसके पीछे क्राइम ब्रांच लग चुकी है। चंदौली झील के पास इन्वेस्टिगेशन शुरू हुआ तब पता चला बांग्लादेशियों को पश्चिम बंगाल से घुसपैठ करवाकर अमदाबाद तक लाने के बाद यही उन्हें बसाता था। उनकी नौकरी लगवाना, उनके जाली दस्तावेज बनवाना, उनसें काम करवाना, छोटा-मोटा धंदा, ऑटो रिक्शा देना और उनकी कमाई से—आमदनी से सूद खाना यही लाला बिहारी के काम करने का तरीका है। इसका एक फार्महाउस भी था जिसे कारवाई के दरम्यान ध्वस्त किया जा चुका है और लाला पर मुकदमा दर्ज किया गया है। उसके पास 250 से अधिक रिक्शा, 50 गाड़ियां, और कई फर्जी योजनाएं चलाने के प्रमाण भी मिले हैं। यह सारा पैसा व्हाइट करने के लिए वह ‘ए-वन झाड़ू’ और ‘काश सावरनी कॉर्नर’ जैसे नामों से कंपनियां चलाता था, और इसी के माध्यम से जबरन पैसा वसूली के काम भी करता था। यह सब देखने से एक बात साफ दिखाई पड़ती है की चंदौली झील का यह अतिक्रमण सिर्फ अतिक्रमण नहीं था बल्कि संगठित आपराधिक नेटवर्क का मामला है, जो देश की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध मारने के लिए चलाया जा रहा था।
इससे पहले सूरत, वडोदरा से भी 600 से अधिक बांग्लादेशी पकडे जा चुके है। इनकी रास्तों पर परेड निकल चुकी है। वैसे ही अहमदाबाद में 190 घुसपैठिए पकडे गए है, इनके बीच डर बनाने के लिए ऐसी तोड़क कारवाई भी आवश्यक थी। अब सवाल यही बनता है की देश भर में ऐसे कितने लाला बिहारी है !
जैसी कारवाई गुजरात में शुरू हुई है वैसी अभी तक किसी और राज्य में नहीं दिखती, महाराष्ट्र में भाजपा नेता किरीट सोमैय्या फ़िलहाल बांग्लादेशियों द्वारा बनाए दस्तावेजों के खिलाफ काम कर रहे है। अभी तक 11,458 फर्जी जानकारी और गलत तरीके से बनाए जन्मप्रमाण पत्र रद्द किए गए है। हजार की संख्या में बांग्लादेशी भी पकडे गए है—लेकिन फिर भी गुजरात जैसी कारवाई दिख नहीं रही है।
आज मुंबई में हर चौथे विधानसभा क्षेत्र में चंदौली झील जैसे क्षेत्र बने मिलते है, इन जगहों पर लाला बिहारी जैसे कई लाला, बांग्लादेशियों को बसाकर उन्हें अनेकों धंदो में लगा चुके है, लेकीन महाराष्ट्र में इन लालाओं का बोलबाला है , पहले तो यह राजनीतिक पार्टियों से जुड़े है– दूसरा यह पुलिस प्रशासन से अच्छा मेलजोल बनाए हुए होते है। इसीलिए इन्हे पकड़ने के लिए इनके साथ उचित न्याय करने के लिए जिला स्तरीय ऑपेरशन चलाने होंगे। इसी प्रकार से पुणे, नाशिक, सोलापुर, सतारा, जळगाव, बुलढाणा, छत्रपति संभाजी नगर, अमरावती, सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी इन सभी जिलों में पुलिस प्रशासन की ऐसी ही तोड़क कारवाई जरुरी है। यह जरुर है की न्यायालय तोड़क कारवाई के बीच में आ सकते है लेकीन इन घुसपैठियों को पकड़ने के बीच में न्यायालय नहीं आएँगे।
बात यही है की हिंदुत्व जैसी राष्ट्रीयत्व की ज्वलंत विचारधारा महाराष्ट्र की पहचान है—महराष्ट्र को देश का ग्रोथ इंजन भी कहा जाता है—जब इस ग्रोथ इंजन में सेंध मारने के लिए अपराधिक तत्व घुसपैठ करें तो उन्हें साफ़ करने की एक सहज व्यवस्था होनी चाहिए— जब सत्ता में हिंदुत्व विचारधारा की सरकार है–उस समय तोड़क कारवाई के बजाए जांच-जांच और कमिटी-कमिटी खेलना हास्यास्पद है। आज तक सरकार की ओर से बांग्लादेशी-पाकिस्तानी घुसपैठियों को खोजकर निकालने के लिए लोगों से जानकारी पाते ही पुलिस-प्रशासन को बताने की अपील भी नहीं की गई है। केवल 11 हजार फर्जी दस्तावेजो पर बैठकर बांग्लादेशी पकडे नहीं जाएंगे इसके लिए दस्तावेज धारक बांग्लादेशी, और फर्जी दस्तावेज बनाकर देने वाले दलालों को ढूंढकर सलाखों के पीछे भेजना होगा।
खैर इस सब में गुजरात आगे निकल चूका है–इस राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर एक गंभीरता दिखाई पड़ती है–जो राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक से कई अधिक है। बाकी गैर भाजपा-शासित राज्यों की बात करें तो इन राज्यों में लाला बिहारियों की संपत्ति दिन-दोगुनी और रात चौगुनी हो रही है।