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अहमदाबाद में प्रधानमंत्री और यूएई राष्ट्रपति का रोडशो: भारत-यूएई संबंधों पर नया अध्याय?

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प्रशांत कारुलकर

9 जनवरी को जब गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल के साथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान का अहमदाबाद एयरपोर्ट पर हार्दिक स्वागत किया और वहां से गांधी आश्रम तक रोडशो किया, उस पल ने कुछ खास संकेत दिए। यह महज प्रोटोकॉल से बढ़कर भारतीय उपमहाद्वीप और खाड़ी के मोती यूएई के बीच रिश्तों का नया अध्याय शुरू करने की तैयारी का ही इशारा था। आइए, इस ऐतिहासिक घटना के मायनों पर गौर करें-

1. व्यापारिक सहयोग का बढ़ता कदम: यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और दोनों देशों के बीच वार्षिक कारोबार 88 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है। यह रोडशो भारत को निवेश आकर्षित करने के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में दिखाता है, खासकर ऊर्जा, बुनियादी ढांचा और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्रों में। इस रोडशो के दौरान हुए समझौतों से भविष्य में और सहयोग बढ़ने की उम्मीद है।

2. रणनीतिक साझेदारी का मजबूत बंधन: सुरक्षा सहयोग भारत-यूएई रिश्तों का एक अन्य महत्वपूर्ण स्तंभ है। दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ने और समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई समझौते किए हैं। यह रोडशो दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को दर्शाता है और भविष्य में सुरक्षा सहयोग को और मजबूत बनाने की ओर संकेत करता है।

3. क्षेत्रीय सहयोग की नई उम्मीदें: भारत और यूएई दोनों ही इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) और गुआम के सदस्य हैं। यह रोडशो इन क्षेत्रीय संगठनों के सहयोग को मजबूत बनाने और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

4. सांस्कृतिक आदान-प्रदान का पुल: इस रोडशो से दोनों देशों की संस्कृतियों के बीच आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलेगा। भारतीय कला, फिल्म और योग को यूएई में लोकप्रियता मिल रही है, वहीं यूएई की आधुनिक तकनीक और बुनियादी ढांचे से भारत सीख सकता है।

5. भविष्य की संभावनाएं: यह रोडशो आने वाले समय में भारत-यूएई संबंधों के उज्ज्वल भविष्य का संकेत देता है। दोनों देशों के बीच आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक सहयोग बढ़ने की उम्मीद है। दोनों देशों का यह नया अध्याय विश्व राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण प्रभाव रख सकता है।

हालांकि, रोडशो से उत्साहित होने के साथ-साथ हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि रिश्तों को मजबूत बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है। वीजा प्रक्रिया को आसान बनाना, भारतीय कामगारों के अधिकारों का संरक्षण करना और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयास जारी रखना ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं, जिन पर दोनों देशों को मिलकर काम करना चाहिए। अंत में, प्रधानमंत्री और यूएई राष्ट्रपति का यह रोडशो सिर्फ एक तमाशा नहीं था, बल्कि भारत-यूएई संबंधों के उज्ज्वल भविष्य का शुभ संकेत था।

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