संसद सुरक्षा चूक: नीलम की नफ़रत की दुकान पर राहुल का बेरोजगारी कार्ड     

संसद सुरक्षा चूक: नीलम की नफ़रत की दुकान पर राहुल का बेरोजगारी कार्ड     

संसद में युवकों द्वारा मचाये गए उत्पात पर राहुल गांधी ने कहा है कि यह घटना सरकार की ख़राब नीतियों की वजह से हुई। ये युवा बेरोजगारी और महंगाई से त्रस्त थे। एक तरह से कहा जा सकता है कि राहुल गांधी ने इन गुमराह युवकों का समर्थन किया है। वैसे भी राहुल गांधी के मोहब्बत की दुकान में नीलम ने सेंध लगाकर नफ़रत की दुकानदारी चलाई है। 

शनिवार को जब राहुल गांधी यह कहते है कि संसद पर हमला क्यों हुआ …?  यह मोदी सरकार की नीतियों की विफलता है। आज बड़े पैमाने पर युवा बेरोजगार है। उन्होंने कहा कि देश में मोदी की नीतियों के कारण देश के युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि संसद की सुरक्षा में चूक हुई है।

सवाल यह कि क्या कांग्रेस नीलम को बचाने के लिए बेरोजगारी और महंगाई का कार्ड खेल रही है। जैसा की मैंने आशंका जाहिर की थी.अगर देश में बेरोजगारी और महंगाई है तो राहुल गांधी क्या कर रहे हैं। वे सड़क पर क्यों नहीं उतरते, उन्हें मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना चाहिए। राहुल गांधी को बेरोजगारी महंगाई के खिलाफ जनता को एकजुट करना चाहिए। इस दौरान राहुल गांधी को बताना चाहिए की जब उनकी सरकार आएगी तो वे देश के सभी बेरोजगार युवकों को सरकारी नौकरी देंगे। राहुल गांधी क्यों नहीं देश के बेरोजगार युवकों के लिए रोजगार और सरकारी नौकरी के लिए रोडमैप लाते। पर राहुल गांधी और विपक्ष ऐसा करने में नाकाम है। उनके पास किसी चीज का रोड मैप नहीं है,जिससे वे देश के युवाओं को बतायें और समझा सकें कि आपके रोजगार के लिए हमारे पास रोड मैप है, हमारे साथ आइये, हम नौकरी देंगे।बेरोजगारी और महंगाई विपक्ष के लिए और राहुल गांधी के पास 2024 के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है, जैसा वे कहते हैं। शायद इसके जरिये वे जनता की सहानभूति पा सकते है। वोट भी पा सकते हैं, लेकिन क्या ऐसा कर पाएंगे यह बड़ा सवाल। राहुल गांधी विदेश में जाकर लंबे चौड़े भाषण देते हैं। पर भारत में बेरोजगारी को लेकर कभी प्लान नहीं समझाते। अलबत्ता उस पर राजनीति जरूर करते हैं। नकारात्मक बात करने से अच्छा है कि राहुल गांधी को सकारात्मक बात करनी चाहिए।    

 नकारात्मक विचार की ही वजह से जनता या युवाओं में राहुल गांधी के प्रति विश्वास नहीं बन पाया है। जब राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा शुरू की थी तब भी उन्होंने कहा था कि यह यात्रा महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ है। लेकिन राहुल गांधी ने इस यात्रा के जरिये युवाओं में कांग्रेस के प्रति जोश या विश्वास नहीं जगा पाए। उन्होंने इस दौरान कन्या कुमारी से लेकर जम्मू कश्मीर की यात्रा की। पर यात्रा में राहुल गांधी ने या कांग्रेस के नेताओं ने महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा नहीं उठाया। इस दौरान केवल बड़े बड़े सेलिब्रेटी यात्रा में शामिल होते रहे और राहुल गांधी उनके साथ फोटो खिंचवाते रहे. जब यात्रा समाप्त हुई तो कांग्रेस ने जनता में केवल यह बात फैलाने की कोशिश की राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से लोकप्रियता बढ़ी है, जनता उनका समर्थन करने लगी है। मगर बेरोजगारी और महंगाई का मुद्दा गुम नजर आया।

 इतना नहीं हाल ही में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने इस मुद्दे को जोर शोर से नहीं उठाया गया है। कांग्रेस ने राज्य के युवाओं को नौकरी देने का भी वादा नहीं किया। अब वही राहुल गांधी कह रहे हैं कि पीएम मोदी की खराब नीतियों के कारण सुरक्षा में चूक हुई है, संसद में उत्पात मचाने वाले युवा बेरोजगार और महंगाई से तंग थे। ऐसा क्यों हुआ इस पर भी राहुल गांधी को सोचना चाहिए और बताना चाहिए। यह सच्चाई है कि देश के सभी लोगों को सरकारी नौकरी देना संभव नहीं है। राहुल गांधी या दूसरे विपक्षी दल केवल जनता या युवाओं को गुमराह करते हैं। रही बात रोजगार की तो, रोजगार किसी के पास चलकर नहीं आएगा। उसे युवाओं को खुद प्लान करना होगा। उसके लिए मेहनत करनी होगी। क्या सपने देखने से नौकरी मिल जाएगी। हमें खुद प्रयास करना होगा।

संसद में उत्पात मचाने वाले युवा गरीब या मध्य वर्गीय परिवार से हैं। मेहनत करना जानते हैं। नीलम पढ़ी लिखी है। सवाल यह कि क्या पढ़ लिख लेना नौकरी मिल जाने की गारंटी है। अगर ऐसा है तो जो लोग पढ़ें लिखे हैं सभी को नौकरी मिल जानी चाहिए। सवाल कुशलता और कुशाग्रता का है। इस घटना से पहले सागर शर्मा इलेक्ट्रिक रिक्शा चलाता था, मनोरंजन डी, इंजीनियरिंग की पढ़ाई किया है,लेकिन वह नौकरी नहीं करना चाहता था। घटना का मुख्य साजिशकर्ता ललित झा टीचर था। फिर बेरोजगारी का मुद्दा कहां है। अमोल शिंदे पुलिस भर्ती की तैयारी कर रहा था। फिर बेरोजगारी का मुद्दा कहां है ? नीलम एक वीडियो में धरना प्रदर्शन में शामिल हुई है और कांग्रेस के लिए वोट मांग रही है। फिर बेरोजगारी की बात कहां आती है। नीलम को अगर नौकरी की जरूरत होती तो वह उसके लिए पसीने बहाती नजर आती राजनीति नहीं करती। ये युवा गुमराह है और देश को भी गुमराह करने की कोशिश की कोशिश किये।      

जिस दिन राहुल गांधी और विपक्ष के नेता धूप में चलेंगे, तब समझ में आएगा कि नौकरी इतनी आसानी से नहीं मिलती है, उसके लिए खून पसीने बहना पड़ता है। उसके लिए रतजगी करनी पड़ती है। जैसे राहुल गांधी बिना कोई संघर्ष किये ही आज पीएम पद के दावेदार है। राहुल गांधी को राजनीति के उन कार्यकर्ताओं को पूछना और देखना चाहिए जो तम्बू और टाट फैलाते फैलाते मर जाते हैं, लेकिन कभी प्रदेश अध्यक्ष भी नहीं बन पाते हैं। देश में योग्य युवाओं की कमी नहीं है, युवा नौकरी कर भी रहे हैं और अपना परिवार भी चला रहा है। उन्हें संसद पर हमला करने की जरूरत नहीं है। देश के युवा सुलझे और परिश्रमी हैं।

ऐसे में यह भी सवाल उठ रहा है कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस क्यों हार गई। कांग्रेस की हार के पीछे की क्या कहानी हो सकती है। इस संबंध में तमाम रिपोर्ट आई होंगी। कुछ चीजें महत्वपूर्ण है, जैसे  काबिलियत, योग्यता, मेहनत। क्या राहुल गांधी में ये चीजें हैं ? यह सवाल राहुल गांधी को खुद से करनी चाहिए ? कांग्रेस को छोड़कर जाने वाले नेता बार बार राहुल गांधी की काबलियत पर सवाल उठाये हैं। हाल ही में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी अपनी पुस्तक “प्रणब माई फादर: अ डॉटर रिमेमबर्स” में राहुल गांधी की योग्यता पर सवाल उठाया है। सवाल यही है कि ऐसी कौन सी वजह रही कि कांग्रेस लगातार दो लोकसभा चुनाव हार गई। ऐसी क्या वजह रही कि कांग्रेस छत्तीसग़ढ और राजस्थान में हार गई। राहुल गांधी को समझना चाहिए की सरकारी नौकरी ऐसे ही नहीं मिल जाती है, सरकारी नौकरी पाने के लिये कई रातें, कई दिन जागना पड़ता है। हम यह भी नहीं कह रहे हैं कि संसद में उत्पात मचाने वाले युवाओं में योग्यता नहीं है। पर सभी को अपनी योग्यता का सही जगह पर उपयोग करना आना चाहिए। तभी सफलता मिलती है।

 संसद में हमला करने वाले युवाओं में काबिलियत है, जोश है, हुनर है, लेकिन उन्होंने इसका गलत इस्तेमाल किया। इन युवाओं ने अपने हुनर को देश विरोधी गतिविधियों में लगाया। क्या 26 साल के युवा को यह पता नहीं होगा कि वह क्या करने जा रहा है ? सवाल युवाओं के बेरोजगारी का नहीं है, बल्कि उनके मकसद का है, उनके व्यवहार का है। उनके विचार का है, जिसके साथ वे आगे बढ़े है, क्या  वह सही था ?  


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