कनाडा की राजनीति में एक अहम बदलाव करते हुए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने अनीता आनंद को देश की नई विदेश मंत्री नियुक्त किया है। प्रधानमंत्री कार्नी ने इस नियुक्ति के साथ स्पष्ट संकेत दिया है कि उनकी सरकार भारत के साथ बिगड़ते संबंधों को पुनर्जीवित करने को प्राथमिकता दे रही है। अनीता आनंद को इससे पहले परिवहन और रक्षा जैसे अहम मंत्रालयों का अनुभव रहा है। अब उनके कंधों पर एक नई और संवेदनशील जिम्मेदारी दी गई है।
प्रधानमंत्री कार्नी ने घोषणा करते हुए कहा, “उनका मिशन भारत के साथ लगभग टूट चुके संबंधों को फिर से स्थापित करना होगा। इसके साथ ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बेहतर तालमेल बनाकर अमेरिका के साथ संबंध मजबूत करना होगा।” यह बयान उस समय आया है जब भारत और कनाडा के संबंधों में खटास बनी हुई है, खासकर खालिस्तान समर्थक घटनाओं और हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के आरोप भारत पर लगाने के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक टकराव बढ़ गया था।
पूर्व विदेश मंत्री मेलानी जोली को अब परिवहन और आंतरिक व्यापार मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। जोली ने बीते वर्ष छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर भारत-कनाडा संबंधों में कड़वाहट ला दी थी। भारत ने निज्जर की हत्या में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया था और जवाबी कदम के तहत कनाडा के कई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया गया था।
नवगठित कैबिनेट में भारतीय मूल के प्रतिनिधित्व में कमी आई है। पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की कैबिनेट में जहां 39 मंत्री थे, वहीं कार्नी की नई कैबिनेट में केवल 28 मंत्री शामिल हैं। इनमें भारतीय मूल के कुछ ही नेताओं को स्थान मिला है। मनिंदर सिद्धू को अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री बनाया गया है, जबकि रूबी सहोता और रणदीप सराय को राज्य सचिव के रूप में जिम्मेदारियां दी गई हैं।
पूर्व रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन ने इस बार चुनाव नहीं लड़ा और सक्रिय राजनीति से विदा ले ली है। वहीं आरिफ विरानी और कमल खेड़ा जैसे वरिष्ठ भारतीय मूल के नेताओं को कैबिनेट से बाहर कर दिया गया है।
प्रधानमंत्री कार्नी की इस नई टीम से साफ है कि वे भारत और अमेरिका के साथ संबंधों को फिर से परिभाषित करना चाहते हैं। विदेश मंत्रालय की बागडोर अनीता आनंद को सौंपकर उन्होंने स्पष्ट संकेत दिया है कि भारत के साथ संवाद बहाली उनकी विदेश नीति की प्राथमिकता में शामिल है।
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