संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था IAEA (इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी) ने शुक्रवार (4 जुलाई)को पुष्टि की कि उसने ईरान से अपने अंतिम शेष निरीक्षकों को हटा लिया है। यह कदम अमेरिका और इज़राइल द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर किए गए हमलों के बाद सुरक्षा चिंताओं के चलते उठाया गया है। IAEA ने एक्स पर एक बयान जारी कर कहा, “एक IAEA निरीक्षक टीम आज ईरान से सुरक्षित रूप से रवाना होकर एजेंसी के वियना मुख्यालय लौट गई है। यह टीम हालिया सैन्य संघर्ष के दौरान तेहरान में मौजूद थी।”
गौरतलब है कि तीन हफ्ते पहले इज़राइल ने ईरान के यूरेनियम संवर्धन स्थलों पर पहली बार सैन्य हमला किया था, जिससे ईरान-अमेरिका-इज़राइल के बीच परमाणु मुद्दे पर टकराव और गहरा गया। युद्ध शुरू होने के बाद 13 जून से ही IAEA निरीक्षकों की ईरानी परमाणु साइट्स तक पहुंच बंद हो चुकी थी।
अब ईरानी संसद ने एक नया कानून पारित कर IAEA के साथ सहयोग को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है, जब तक कि उसकी परमाणु सुविधाओं की सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जाती। हालांकि IAEA का कहना है कि उसे अब तक ईरान से इस निलंबन की औपचारिक सूचना नहीं मिली है, लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि उसके निरीक्षक कब दोबारा ईरान जा सकेंगे।
ईरानी अधिकारियों और मीडिया ने IAEA पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि उसकी 31 मई की रिपोर्ट के चलते ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को कूटनीतिक आधार मिला। इस रिपोर्ट के आधार पर IAEA की 35 देशों की बोर्ड ने ईरान को परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के उल्लंघन का दोषी ठहराया था।
IAEA के प्रमुख राफेल ग्रोसी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि रिपोर्ट पूरी तरह तथ्यों पर आधारित थी और इसका सैन्य हमलों से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, “हम यह बर्दाश्त नहीं कर सकते कि निरीक्षण व्यवस्था बाधित हो।”
हमलों में ईरान के तीन प्रमुख यूरेनियम संवर्धन संयंत्र या तो नष्ट हो चुके हैं या गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। लेकिन ईरान के पास मौजूद नौ टन संवर्धित यूरेनियम, जिसमें 60% तक संवर्धन वाली 400 किलो से ज्यादा मात्रा शामिल है, जिसका क्या हुआ, यह स्पष्ट नहीं है।
IAEA के मापदंडों के अनुसार, इस मात्रा का उच्च स्तर तक संवर्धन किया जाए तो इससे लगभग 9 परमाणु हथियार बनाए जा सकते हैं। पश्चिमी देशों का कहना है कि इतना अधिक संवर्धन नागरिक जरूरतों के लिए जरूरी नहीं है, और अब तक ऐसा कोई देश नहीं है जिसने इतना संवर्धन किया हो बिना परमाणु हथियार बनाए।
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने गुरुवार को कहा कि ईरान अब भी NPT (परमाणु अप्रसार संधि) का पालन करता है। वहीं IAEA ने कहा है कि वह ईरान से शीघ्र बातचीत करना चाहता है ताकि निगरानी और सत्यापन व्यवस्था को बहाल किया जा सके।
ग्रोसी ने यह भी कहा कि “IAEA का ईरान में अपनी अनिवार्य निगरानी गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए बातचीत करना बेहद जरूरी है।” IAEA के निरीक्षकों की अनुपस्थिति और सैन्य हमलों के कारण ईरान की परमाणु गतिविधियों की निगरानी अब लगभग असंभव हो गई है, जिससे वैश्विक परमाणु सुरक्षा को लेकर चिंता गहराती जा रही है।
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