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Friday, June 20, 2025
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भारत वन क्षेत्र में वृद्धि दर्ज करवाते हुए दुनिया के चंद देशों में शामिल!

भारत में तेजी से शहरीकरण हो रहा है। जनगणना 2011 के अनुसार, भारत की शहरी आबादी कुल आबादी का 31.1 प्रतिशत थी, जो जनगणना 2024 में बढ़कर 35-37 प्रतिशत होने की उम्मीद है।

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भारत उन शीर्ष 10 देशों में शामिल है, जहां पिछले कुछ वर्षों में वन क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि, भारत का वन क्षेत्र 1991-2011 तक स्थिर रहा, लेकिन उसके बाद इसमें वृद्धि हुई। यह जानकारी गुरुवार को जारी एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट में दी गई।

एसबीआई रिपोर्ट के अनुसार, “शहरीकरण और वन क्षेत्र के बीच संबंध यू आकार का है। प्रारंभिक चरण के शहरीकरण से वनों की कटाई होती है, लेकिन जैसे-जैसे शहरीकरण आगे बढ़ता है, शहरी हरियाली, वन संरक्षण कार्यक्रम और सस्टेनेबल भूमि उपयोग योजना जैसी नीतियों में वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्वरूप अंततः वन क्षेत्रों में वृद्धि होती है।”

भारत में तेजी से शहरीकरण हो रहा है। जनगणना 2011 के अनुसार, भारत की शहरी आबादी कुल आबादी का 31.1 प्रतिशत थी, जो जनगणना 2024 में बढ़कर 35-37 प्रतिशत होने की उम्मीद है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 40 प्रतिशत शहरीकरण दर से आगे, वन क्षेत्र पर प्रभाव सकारात्मक हो जाता है।

इस प्रकार, स्मार्ट सिटीज मिशन और अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (एएमआरयूटी) जैसे अधिक से अधिक कार्यक्रम हरित इंफ्रास्ट्रक्चर को इंटीग्रेट करने और शहरी इकोलॉजिकल मजबूती बढ़ाने के लिए जरूरी हैं।

वर्तमान आकलन के अनुसार, भारत के मेगा शहरों में कुल वन क्षेत्र 511.81 वर्ग किमी है, जो शहरों के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 10.26 प्रतिशत है। दिल्ली में सबसे अधिक वन क्षेत्र है, उसके बाद मुंबई और बेंगलुरु हैं।

वन क्षेत्र में अधिकतम वृद्धि (2023 बनाम 2021) अहमदाबाद में देखी गई है, उसके बाद बेंगलुरु है, जबकि वन क्षेत्र में अधिकतम कमी चेन्नई और हैदराबाद में देखी गई है।

वानिकी क्षेत्र भारत के ग्रॉस वैल्यू एडेड में लगभग 1.3-1.6 प्रतिशत का योगदान देता है, जो फर्नीचर, कंस्ट्रक्शन और कागज मैन्युफैक्चरिंग जैसे उद्योगों को सहायता प्रदान करता है। भारत में 35 बिलियन पेड़ होने का अनुमान है। इसका मतलब है कि प्रति पेड़ केवल 100 रुपए जीएवी है।

भारत विषम वन क्षेत्र वाला देश है। यह क्षेत्र ओडिशा, मिजोरम और झारखंड जैसे राज्यों में बढ़ रहा है। उत्तर-पूर्व और पहाड़ी राज्यों (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश) में वन क्षेत्र के अंतर्गत भौगोलिक क्षेत्र हैं। यूपी, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब आदि जैसे राज्यों में उनके भौगोलिक क्षेत्रों के 10 प्रतिशत से भी कम वन क्षेत्र हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जैव विविधता हॉटस्पॉट का विस्तार और निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने से फॉरेस्ट सस्टेनेबिलिटी को बढ़ाया जा सकता है। कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) और कार्बन ऑफसेट बाजारों के माध्यम से वनीकरण परियोजनाओं में निवेश करने से संरक्षण फंडिंग में वृद्धि हो सकती है।

सैटेलाइट मॉनिटरिंग और डिजिटल डेटाबेस के माध्यम से अतिक्रमण के खिलाफ प्रवर्तन को मजबूत करने से महत्वपूर्ण वन क्षेत्रों की रक्षा की जा सकती है।

सरकार ने ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर को इंटीग्रेट करने और शहरी इकोलॉजिकल मजबूती को बढ़ाने के लिए स्मार्ट सिटी मिशन और अमृत जैसी कई पहल की हैं, जो यू-आकार की परिकल्पना के अनुरूप हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे बेहतर संस्थागत क्षमता विकसित होगी, जो शहरी विकास और पर्यावरण संरक्षण दोनों का समर्थन करेगी।

 
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