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कभी खिलौनों की आयात करने वाला भारत आज 153 देशों में कर रहा है निर्यात!

'लोकल से ग्लोबल' की ओर बड़ी छलांग: पीयूष गोयल

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केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि भारत का खिलौना उद्योग, जो कभी आयात पर निर्भर था, अब घरेलू रूप से निर्माण कर रहा है और दुनिया के 153 देशों को खिलौनों का निर्यात कर रहा है। वह ‘टॉय बिज़ इंटरनेशनल B2B एक्सपो 2025’ के 16वें संस्करण को संबोधित कर रहे थे।

गोयल ने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की सोच और ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान के तहत घरेलू उद्योगों के प्रति जनजागरूकता और समर्थन में निरंतर वृद्धि हुई है। उन्होंने इस बदलाव के लिए नीतिगत समर्थन, गुणवत्ता मानकों के कड़े पालन और घरेलू निर्माण क्लस्टरों के सशक्तिकरण को जिम्मेदार बताया।

बता दें की 2019 में भारत ने चीन से लगभग 600 मिलियन डॉलर मूल्य के खिलौनों का आयात किया था, जो उस समय की उच्च आयात निर्भरता को दर्शाता है। यह आंकड़ा 2021 की एक रिपोर्ट पर आधारित है, जो बताती है कि भारत उस समय चीन से 600 मिलियन डॉलर से अधिक के खिलौने आयात कर रहा था। हालांकि, 2020 में बेसिक कस्टम ड्यूटी को 20% से बढ़ाकर 60% करने और 2021 में खिलौनों के लिए क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर लागू करने जैसे सरकारी कदमों ने आयात को काफी हद तक कम कर दिया।
इसी के साथ वित्तीय वर्ष 2024 (अप्रैल 2023 से मार्च 2024) में, भारत ने 153 देशों को 152.34 मिलियन डॉलर मूल्य के खिलौनों का निर्यात किया, जैसा कि केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने हाल ही में बताया। ‘मेक इन इंडिया’ और राष्ट्रीय खिलौना कार्य योजना जैसे नीतिगत प्रयासों ने भारत को खिलौना निर्यात में अग्रणी बनाया है। ये कदम न केवल आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि भारत को वैश्विक खिलौना बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर रहे हैं।

मंत्री ने बताया कि गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO) के लागू होने से भारत अब एक गुणवत्ता के प्रति सजग राष्ट्र बन चुका है और देश के खिलौना निर्माता वैश्विक मानकों पर खरे उतरने लगे हैं। उन्होंने कहा कि भारत की 1.4 अरब की जनसंख्या एक बड़ा घरेलू बाजार प्रदान करती है, जिससे मैन्युफैक्चरिंग स्केल को बढ़ाकर लागत में प्रतिस्पर्धात्मकता हासिल की जा सकती है।

गोयल ने घोषणा की कि सरकार जल्द ही खिलौना क्षेत्र के लिए एक नई प्रोत्साहन योजना लाने जा रही है। इस योजना का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता निर्माण, डिजाइन क्षमताओं का उन्नयन, आकर्षक पैकेजिंग, और ब्रांड बिल्डिंग को मजबूत करना होगा। उन्होंने कहा कि अगर उत्पाद डिज़ाइन, पैकेजिंग और ब्रांडिंग पर विशेष ध्यान दिया जाए, तो भारतीय खिलौने वैश्विक बाज़ारों में बड़ी अपील हासिल कर सकते हैं।

गोयल ने बताया कि घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए देशभर में 18 खिलौना क्लस्टरों को MSME मंत्रालय द्वारा समर्थन दिया गया है। इसके अलावा, स्टार्टअप्स को भी प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत बिना गारंटी वाले ऋण मिल रहे हैं। यह योजना अब 20 वर्षों तक विस्तारित की गई है, जिससे छोटे व्यवसायों को मजबूती मिली है।

मंत्री ने याद किया कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वोकल फॉर लोकल’ की शुरुआत की थी, तब कई लोगों को इस पर शक था क्योंकि उपभोक्ताओं की पसंद विदेशी उत्पादों की ओर अधिक झुकी हुई थी। लेकिन आज लोकल ब्रांड्स को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल रही है, और यह भारत की विकास यात्रा का हिस्सा बन चुका है।

गोयल ने कहा कि भारत का खिलौना उद्योग अब सिर्फ बच्चों की खुशियों का जरिया नहीं, बल्कि रोजगार, नवाचार और वैश्विक व्यापार का नया केंद्र बन चुका है। भारत का खिलौना क्षेत्र अब आत्मनिर्भर भारत की दिशा में केवल प्रतीक नहीं, बल्कि आर्थिक सफलता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सशक्त उदाहरण बन रहा है।

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