प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (पीएलआई) योजना के चलते भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) इक्विटी प्रवाह में 69% की वृद्धि दर्ज देखी गई है। यह 2004-2014 के बीच 98 बिलियन डॉलर था, जो 2014-2024 के दौरान बढ़कर 165 बिलियन डॉलर हो गया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, पीएलआई योजना से रोजगार बढ़ाने, आयात घटाने और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने में मदद मिली है।
औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने 2025-26 के लिए PLI योजना के बजट में बढ़ोतरी की है, जिससे घरेलू विनिर्माण को मजबूती देने की कोशिश की गई थी। वहीं अगस्त 2024 तक, इस योजना के तहत कुल 1.46 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ, और अगले वर्ष तक इसके 2 लाख करोड़ रुपये पार करने का अनुमान है।
इन निवेशों से 12.50 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन और बिक्री हुई है, जबकि लगभग 9.5 लाख नई नौकरियों के अवसर निर्माण हुए, जो की आने वाले समय में 12 लाख तक पहुंच सकती है।
प्रमुख क्षेत्रों में उल्लेखनीय वृद्धि
- इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी हार्डवेयर के लिए आवंटन 5,777 करोड़ रुपये (2024-25 के संशोधित अनुमान) से बढ़ाकर 9,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
- ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट क्षेत्र में बजट 346.87 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,818.85 करोड़ रुपये हो गया है।
- कपड़ा उद्योग को भी बड़ा बढ़ावा मिला, जहां बजट 45 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,148 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में भारत की बड़ी छलांग
पीएलआई योजना के तहत भारत ने मोबाइल फोन के शुद्ध आयातक से शुद्ध निर्यातक बनने की ओर कदम बढ़ाया है।
- घरेलू उत्पादन 2014-15 में 5.8 करोड़ यूनिट से बढ़कर 2023-24 में 33 करोड़ यूनिट तक पहुंच गया है।
- निर्यात बढ़कर 5 करोड़ यूनिट हो गया है, जबकि आयात में गिरावट आई है।
- एफडीआई में 254% की वृद्धि हुई, जिससे मैन्युफैक्चरिंग और निवेश को जबरदस्त बढ़ावा मिला।
ऑटोमोटिव और सौर ऊर्जा में निवेश की बढ़ोतरी
- ऑटोमोटिव पीएलआई योजना के तहत 3.5 बिलियन डॉलर (20,750 करोड़ रुपये) का निवेश हुआ, जिससे हाई-टेक ऑटोमोटिव उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा मिला।
- 115 से अधिक कंपनियों ने आवेदन किया, जिनमें से 85 को प्रोत्साहन के लिए मंजूरी मिली और 67,690 करोड़ रुपये का निवेश हुआ, जो तय लक्ष्य से कहीं अधिक है।
- सौर पीवी मॉड्यूल के लिए पहले चरण में 541.8 मिलियन डॉलर (4,500 करोड़ रुपये) का निवेश किया गया, जबकि दूसरे चरण में 2.35 बिलियन डॉलर (19,500 करोड़ रुपये) से 65 गीगावाट क्षमता निर्माण का लक्ष्य है।
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भारत ने पीएलआई योजना के तहत दूरसंचार उत्पादों के आयात में 60% की कमी हासिल की है। इससे 4जी और 5जी दूरसंचार उपकरणों के निर्यात में भारत एक प्रमुख खिलाड़ी बन गया है। कई वैश्विक टेक कंपनियों ने भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित की हैं, जिससे ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत की स्थिति मजबूत हुई है।