कोलंबिया की राजधानी बोगोटा में शनिवार (7 जनवरी )को अफरा-तफरी मच गई जब राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और सीनेटर मिगुएल उरीबे को एक चुनावी रैली के दौरान पीठ में गोली मार दी गई। जब वे फोंटिबोन इलाके के एक सार्वजनिक पार्क में अपने समर्थकों को संबोधित कर रहे थे उस वक्त यह भयावह हमला किया गया। इस हमले में उनकी गंभीर रूप से घायल होने की पुष्टि की गई है।
39 वर्षीय उरीबे देश की रूढ़िवादी विपक्षी पार्टी डेमोक्रेटिक सेंटर के प्रमुख नेता हैं और 2026 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में देखा जा सकता है कि भाषण के दौरान अचानक गोली चलने की आवाज आती है और माहौल अफरातफरी में बदल जाता है। कुछ तस्वीरों में उरीबे खून से सने हुए दिखाई दे रहे हैं, और लोग उन्हें सहारा देकर वाहन की ओर ले जा रहे हैं।
अधिकारियों के अनुसार, उरीबे को गर्दन या सिर में कम से कम एक गोली लगी है। उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत अभी गंभीर बनी हुई है। फिलहाल उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर कोई आधिकारिक बुलेटिन जारी नहीं किया गया है।
कोलंबिया के रक्षा मंत्री पेड्रो सांचेज ने जानकारी दी कि इस हमले के सिलसिले में एक 15 वर्षीय लड़के को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि जांच जारी है कि क्या इस हमले में और लोग भी शामिल थे। सांचेज ने उरीबे का इलाज कर रहे अस्पताल का दौरा भी किया।
कोलंबिया के वामपंथी राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने इस घटना की कड़ी निंदा की और इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया। उन्होंने एक बयान में घटना की पूरी जांच की मांग की और उरीबे के परिवार के प्रति संवेदना जताई। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर उन्होंने लिखा, “मैं नहीं जानता कि आपके दर्द को कैसे कम करूं। यह एक खोई हुई मां और मातृभूमि का दर्द है।”
उरीबे कोलंबिया के एक प्रमुख राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता व्यवसायी और यूनियन नेता थे, जबकि उनकी मां डायना टर्बे एक प्रसिद्ध पत्रकार थीं, जिन्हें 1990 में ड्रग माफिया पाब्लो एस्कोबार के वर्चस्व वाले एक समूह ने अगवा कर लिया था। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान उनकी मौत हो गई थी।
डेमोक्रेटिक सेंटर पार्टी ने इस हमले को लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए कहा कि यह राजनीति में हिंसा की वापसी का संकेत है, लेकिन उन्होंने उरीबे की स्थिति को लेकर कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं दी। कोलंबिया दशकों से वामपंथी छापामारों, अर्धसैनिक बलों और आपराधिक गुटों के बीच संघर्ष झेलता आ रहा है। इस ताजा घटना ने देश में चुनावी हिंसा और लोकतंत्र पर खतरे को एक बार फिर उजागर कर दिया है। प्रशासन और सुरक्षाबलों ने स्थिति पर नजर बनाए रखने का दावा किया है।
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