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Thursday, June 19, 2025
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NSE: 30 साल बेमिसाल, भारत का पहला महा ‘फिनटेक’! 

NSE भारत की पहली डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) और पहली फिनटेक संस्था बनकर उभरा, जिसने देश में आईटी क्रांति की नींव रखी।

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पिछले 30 वर्षों में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) भारत के पूंजी बाजारों की आधारशिला रहा है। 1994 में NSEने पूरी तरह से स्वचालित स्क्रीन-आधारित ऑर्डर मिलान प्रणाली शुरू की, जिससे भारत को आईटी क्षेत्र में वैश्विक पहचान मिली। इसकी सफलता के बाद ही अंतरराष्ट्रीय बाजारों ने ऑटोमेशन को अपनाया। NSE भारत की पहली डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) और पहली फिनटेक संस्था बनकर उभरा, जिसने देश में आईटी क्रांति की नींव रखी।

आज NSE दुनिया का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है, जहां कुछ दिनों में 300 मिलियन से अधिक लेनदेन और 20 अरब से ज्यादा ऑर्डर प्रोसेस होते हैं। बीते तीन दशकों में NSE ने भारतीय शेयर बाजार की दिशा बदल दी और इस परिवर्तन का सबसे बड़ा लाभ भारतीय निवेशकों को मिला। 2024 में, ट्रेड की संख्या के आधार पर NSE दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा और लगातार छठे वर्ष डेरिवेटिव्स के मामले में सबसे बड़ा एक्सचेंज बना रहा है (WFE के आंकड़ों के अनुसार)।

NSE के एमडी और सीईओ श्री आशीष कुमार चौहान, जो स्थापना टीम का हिस्सा रहे हैं, संस्था को निष्पक्षता, पारदर्शिता और दक्षता के सिद्धांतों पर नेतृत्व दे रहे हैं।

शेअर बाज़ार का लोकतंत्रीकरण: NSEकी स्थापना 1990 के दशक की शुरुआत में वित्तीय बाजार की कमियों को दूर करने के लिए की गई थी। 1992 के हर्षद मेहता घोटाले ने पारदर्शिता की कमी और प्रणालीगत खामियों को उजागर किया। इस संदर्भ में डॉ. आर. एच. पाटिल और श्री एस. एस. नाडकर्णी जैसे दूरदर्शी नेताओं की सोच से NSE का जन्म हुआ। इसने देशभर में पूरी तरह से स्वचालित ट्रेडिंग प्रणाली के ज़रिए भूगोल की सीमाओं को खत्म किया और हर निवेशक को समान अवसर उपलब्ध कराए।

NSE ने छोटे निवेशकों को सशक्त बनाकर, संस्थागत भागीदारी को बढ़ावा देकर और शहरी-ग्रामीण खाई को पाटते हुए भारतीय वित्तीय बाजारों को लोकतांत्रिक बनाया। इसका कठोर जोखिम प्रबंधन ढांचा और निवेशक केंद्रित नीतिवैश्विक मानक बन गई हैं।

भारत की आर्थिक प्रगति का प्रतिबिंबभारत की आर्थिक यात्रा साहस और दृढ़ता की कहानी है, और हमारे बाजारों ने इस यात्रा को सटीक रूप में प्रतिबिंबित किया है। IMF के अनुसार, भारत 2025 में जापान को पीछे छोड़ दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है। इसी तरह भारतीय शेयर बाजार दुनिया में चौथे स्थान पर है। बीते 30 वर्षों में एनएसई सूचीबद्ध कंपनियों का मार्केट कैप 110 गुना बढ़ा है।

दिलचस्प तथ्य यह है कि भारत का इक्विटी बाजार पूंजीकरण आज बैंकिंग क्षेत्र से 1.6 गुना बड़ा है – यह इस बात का संकेत है कि पूंजी बाजार भारत की विकास यात्रा में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

11 करोड़ से अधिक निवेशकों का विश्वास: NSE ने आज 11.5 करोड़ से अधिक यूनिक निवेशकों और 22 करोड़ से अधिक खातों के साथ एक ऐसा बाजार बनाया है जिसका मूल उत्पाद है – विश्वास (TRUST)। भारत के 99.9% पिन कोडों से पंजीकृत निवेशक एनएसई से जुड़े हैं – केवल 28 पिन कोड शेष हैं, जिनमें अधिकांश निर्जन क्षेत्र हैं। पाँच साल पहले जहां केवल 14 में से 1 घर शेयर बाजार में निवेश करता था, आज हर पाँचवां भारतीय घर सीधे बाजार से जुड़ा है।

देश के कोने-कोने से निवेशक – चाहे वो डिब्रूगढ़ हों या सेलम – आज बाजार में भरोसे के साथ पूंजी लगा रहे हैं। महिला निवेशकों की हिस्सेदारी एक-चौथाई है, और औसत आयु घटकर मार्च 2025 तक 32 वर्ष रह गई है (जो 2019 में 38 वर्ष थी)। वर्तमान में 40% पंजीकृत निवेशक 30 वर्ष से कम आयु के हैं और वित्तीय वर्ष 2025 में जो नए निवेशक जुड़े हैं, उनमें से 53% इसी आयु वर्ग के हैं।

बंगाल – वित्तीय सामर्थ्य का प्रतीक: पश्चिम बंगाल लंबे समय से भारत के वित्तीय तंत्र का एक अहम स्तंभ रहा है। आज यह राज्य निवेशकों के पंजीकरण के मामले में देशभर में चौथे स्थान पर है, जहां 65 लाख से अधिक पंजीकृत निवेशक हैं। वर्ष 2015 में यह संख्या लगभग 20 लाख थी, जो अब तीन गुना से अधिक बढ़ गई है। यह राज्य की वित्तीय सक्रियता और बाजार में बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है।

 

साझा सफलता: NSE की सफलता केवल उसकी नहीं, बल्कि यह निवेशकों, कंपनियों, नियामकों, सरकारों और ब्रोकर्स सहित पूरे पारिस्थितिकी तंत्र की साझी उपलब्धि है। भारतीय शेयर बाजार और NSE की तरक्की एक सक्षम और सहयोगी प्रणाली के बिना संभव नहीं थी। इस विकास यात्रा में हर हितधारक ने अहम भूमिका निभाई है, जिससे करोड़ों लोगों को बाज़ार से जुड़ने और देश की वृद्धि कथा में भागीदार बनने का अवसर मिला।

पूंजी जुटाने में वैश्विक नेतृत्व: वर्ष 2024 में NSE ने 268 आईपीओ (मुख्य बोर्ड पर 90 और SME पर 178) के ज़रिए ₹1.67 लाख करोड़ जुटाकर ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। यह किसी भी कैलेंडर वर्ष में अब तक की सबसे अधिक आईपीओ की संख्या है। वैश्विक स्तर पर जहाँ 2024 में कुल 1,145 आईपीओ हुए, वहीं भारत ने सबसे अधिक 268 आईपीओ के ज़रिए पूंजी जुटाकर अग्रणी स्थान प्राप्त किया।

इन निवेशों ने कंपनियों को दीर्घकालिक विकास के लिए पूंजी जुटाने और आर्थिक गतिविधियों को तेज़ करने में मदद की है। इससे न केवल राष्ट्रीय आय में वृद्धि हुई, बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी बने हैं।

NSE की यात्रा के प्रमुख पड़ाव: स्क्रीन-आधारित ट्रेडिंग की शुरुआत (1994): NSE ने पारंपरिक खुली बोलियों की व्यवस्था को बदलकर पूर्णतः स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक ऑर्डर मिलान प्रणाली लागू की, जिससे गति, पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित हुई।

NSE क्लियरिंग लिमिटेड (1996): क्लियरिंग और सेटलमेंट सेवाओं के लिए एक स्वतंत्र इकाई का गठन, जो बाज़ार में जोखिम नियंत्रण सुनिश्चित करती है।

निफ्टी 50 इंडेक्स की शुरुआत (1996): आशीष कुमार चौहान की पहल से बना यह इंडेक्स अब विश्वभर में ट्रैक किया जाता है और भारत की आर्थिक नब्ज का प्रतीक माना जाता है।

शेयरों का डीमैटरियलाइजेशन (1996): एनएसडीएल के सह-प्रवर्तक के रूप में NSE ने कागज़ी प्रमाणपत्रों को खत्म कर पेपरलेस ट्रेडिंग की शुरुआत की।

डेरिवेटिव्स मार्केट की शुरुआत (2000): इंडेक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस के माध्यम से भारत ने वैश्विक डेरिवेटिव्स बाजार में मज़बूत स्थान बनाया। अब NSE में इक्विटी, करेंसी, ब्याज दर और कमोडिटी डेरिवेटिव्स का व्यापार होता है।नवाचार और विविधता: NSE ने ईटीएफ, करेंसी डेरिवेटिव्स, इंटरेस्ट रेट फ्यूचर्स और कमोडिटीज जैसी सेवाएं शुरू कर व्यापक वित्तीय बाज़ार के रूप में खुद को स्थापित किया।

निवेशक सुरक्षा और जागरूकता: NSE ने उत्तराखंड, मेघालय, छत्तीसगढ़, असम, गोवा तथा वाराणसी जिला प्रशासन के साथ एमओयू कर युवाओं को वित्तीय सशक्तिकरण की दिशा में प्रशिक्षित करने की पहल की है। ज़ोमैटो और स्विगी जैसी कंपनियों के साथ करार कर महिला डिलीवरी पार्टनर्स को वित्तीय जानकारी देने की भी पहल की गई है।

विकसित भारत का उत्प्रेरक: एनएसई की 30 वर्षों की यात्रा भारत की वित्तीय क्रांति की गवाह रही है। जैसा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री सी. पी. राधाकृष्णन ने कहा – “बिना पूंजी के विकसित भारत की कल्पना नहीं की जा सकती।” भारत की प्रगति के लिए पूंजी अत्यावश्यक है, और एनएसई पूंजी निर्माण, आर्थिक विकास, संपत्ति सृजन और रोजगार के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

एनएसई अब अपने चौथे दशक में प्रवेश कर चुका है, और वैश्विक मंच पर भारत की आर्थिक उन्नति के अग्रभाग में खड़ा है। तकनीकी दक्षता, सख्त नियामक प्रणाली और निवेशक सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता के साथ एनएसई भारत की पूंजी बाज़ार की अगली छलांग का नेतृत्व करने को तैयार है – और करोड़ों नए निवेशकों को इस आर्थिक यात्रा में भागीदार बनने का अवसर दे रहा है।

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