पूर्व CIA अधिकारी जॉन किरियाकि ने अमेरिका के अफगानिस्तान में अल-कायदा के खिलाफ ऑपरेशन से जुड़े महत्वपूर्ण खुलासे किए हैं। उन्होंने ANI को बताया कि 9/11 के बाद अमेरिकी सेना द्वारा चलाए गए अभियान में अल-कायदा के सबसे खतरनाक आतंकवादी ओसामा बिन लादेन टॉरा बोरा पहाड़ियों से महिला का वेश धारण करके पाकिस्तान में प्रवेश कर गए।
किरियाकि ने कहा कि उस समय अमेरिकी सेना का एक अनुवादक, जो कमांडर के साथ काम कर रहा था, वास्तव में अल-कायदा का गुप्त एजेंट था। उन्होंने कहा, “हम सोच रहे थे कि अक्टूबर 2001 में हमने बिन लादेन और अल-कायदा के नेताओं को टॉरा बोरा में घेर लिया है, लेकिन अनुवादक ने जनरल टोमी फ्रैंक को हमला सुबह तक टालने के लिए मना लिया, यह कहते हुए कि महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित निकालना आवश्यक है। इसी समय बिन लादेन महिला का वेश धारण कर अंधेरे में एक पिकअप ट्रक के जरिए पाकिस्तान भाग गया।”
उसने बताया कि जब अमेरिकी सेना सुबह टॉरा बोरा पहुंची, तो वहां कोई भी मौजूद नहीं था। इसके बाद लड़ाई का फोकस सीधे पाकिस्तान की सीमा में स्थानांतरित कर दिया गया।
किरियाकि ने कहा कि अमेरिका ने पाकिस्तान के सहयोग के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को लगभग खरीद लिया था। “हमने पाकिस्तान को मिलियन्स डॉलर की सैन्य और आर्थिक मदद दी। हम नियमित रूप से मुशर्रफ से मिलते थे, और उन्होंने हमें अधिकांश मामलों में स्वतंत्रता दी। लेकिन पाकिस्तान की सेना अल-कायदा के बारे में नहीं, बल्कि भारत के बारे में चिंतित थी।”
इसके अलावा उन्होंने बताया कि 2002 में CIA की लाहौर में एक लश्कर-ए-तैयबा के ठिकाने पर छापेमारी के दौरान अल-कायदा और लश्कर-ए-तैयबा के बीच पहली विश्लेषणात्मक कड़ी सामने आई, जिसे व्हाइट हाउस ने पाकिस्तान के साथ रणनीतिक संबंधों को बनाए रखने के लिए कमतर दिखाया।
किरियाकि के खुलासों ने 9/11 के बाद अमेरिका की अफगानिस्तान नीति, पाकिस्तान के साथ रिश्तों और आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय रणनीति पर नई रोशनी डाली है।
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