भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर की गई सफल और सटीक कार्रवाइयों के बाद, पाकिस्तान की ओर से एक नया मोर्चा खोला गया—इस बार झूठ और भ्रम फैलाने के डिजिटल हथियार के जरिए। पाकिस्तान सरकार से जुड़े मीडिया आउटलेट्स और सोशल मीडिया अकाउंट्स ने जानबूझकर फर्जी वीडियो और झूठे दावे फैलाकर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार की मुहिम शुरू कर दी है।
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने 8 मई को पाकिस्तान की सीमा में स्थित 9 आतंकवादी कैंपों को निशाना बनाते हुए बड़ी कार्रवाई की। इस ऑपरेशन में दर्जनों आतंकियों के मारे जाने की खबरें हैं। यह भारत की आतंक के खिलाफ दृढ़ प्रतिज्ञा का स्पष्ट संकेत था। लेकिन इस सैन्य सफलता के बाद पाकिस्तान के सूचना तंत्र ने भ्रम फैलाने का काम शुरू कर दिया।
सबसे चर्चित झूठा दावा यह था कि पाकिस्तान ने अमृतसर के एक भारतीय सैन्य अड्डे पर बमबारी की है। इस दावे को पुष्ट करने के लिए सोशल मीडिया पर एक वीडियो फैलाया गया, जिसमें आग की लपटें दिख रही थीं। हालांकि, जांच में सामने आया कि यह वीडियो भारत या पाकिस्तान से नहीं, बल्कि 2024 में चिली के वालपाराइसो में लगी एक जंगल की आग का था। इस वीडियो का सैन्य कार्रवाई से कोई संबंध नहीं था।
भारत सरकार के प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) के फैक्ट-चेकिंग विभाग ने इस झूठ का तुरंत पर्दाफाश करते हुए कहा—
“पाकिस्तान प्रोपेगैंडा अलर्ट! अमृतसर में सैन्य अड्डे पर हमले का झूठा दावा करने वाला वीडियो 2024 की एक जंगल की आग का है। कृपया असत्यापित जानकारी से बचें और केवल आधिकारिक स्रोतों से जानकारी लें।”
पाकिस्तानी ISPR (इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस) और उससे जुड़े कई ट्विटर/एक्स हैंडल्स ने या तो पुरानी क्लिप्स को फिर से प्रसारित किया या फिर डिजिटल रूप से छेड़छाड़ की गई तस्वीरें पोस्ट कीं। विश्लेषकों ने नोट किया है कि पाकिस्तान के कई राजनीतिक चेहरे भी इस गलत सूचना को आगे बढ़ा रहे हैं।
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने झूठे नैरेटिव को गढ़ने की कोशिश की हो, लेकिन इस बार भारत की तत्परता और तथ्य-आधारित प्रतिक्रिया ने इसे तुरंत बेनकाब कर दिया। ऐसे समय में जब आतंक के खिलाफ लड़ाई निर्णायक मोड़ पर है, पाकिस्तान का यह डिजिटल भ्रम फैलाना न केवल उसकी कायरता को दर्शाता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी साख को भी और कम करता है।