कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. शशि थरूर ने अमेरिका में एक कार्यक्रम के दौरान आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता की ज़रूरत पर ज़ोर दिया और पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा की गई कार्रवाई की खुलकर प्रशंसा की। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वह सरकार के लिए काम नहीं करते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें लगता है कि भारत की प्रतिक्रिया सटीक और संतुलित थी।
थरूर ने कहा, “यह एक वैश्विक समस्या है, एक अभिशाप है और हम सभी को एकजुट होकर इसका मुकाबला करना होगा।” उन्होंने यह बात भारतीय वाणिज्य दूतावास में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कही, जहां वे एक सर्वदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि उनके अमेरिकी दौरे की शुरुआत न्यूयॉर्क स्थित 9/11 मेमोरियल से हुई, जिसे उन्होंने एक भावुक क्षण बताया। “यह हमारे लिए एक बहुत ही भावुक अवसर था, लेकिन साथ ही हम यहां यह संदेश देने भी आए हैं कि आतंकवाद एक साझा चुनौती है और इसके पीड़ितों के साथ हमारी एकजुटता अटल है।”
थरूर ने पहलगाम में हुए हालिया आतंकवादी हमले का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह हमला सोची-समझी साजिश का हिस्सा था, जहां हमलावरों ने लोगों की धार्मिक पहचान के आधार पर उन्हें निशाना बनाया। “वे सामने आए लोगों के धर्म की पहचान कर रहे थे और उसी के आधार पर हत्या कर रहे थे, जिससे स्पष्ट था कि शेष भारत में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की कोशिश थी।”
उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह भारतीय समाज ने एकता का परिचय दिया और जम्मू-कश्मीर से लेकर देश के अन्य हिस्सों तक लोगों ने धार्मिक मतभेदों को दरकिनार कर शांति और सहिष्णुता का प्रदर्शन किया। भारत की प्रतिक्रिया का ज़िक्र करते हुए थरूर ने कहा, “मैं सरकार के लिए काम नहीं करता, मैं विपक्षी दल का सांसद हूं। फिर भी, मैंने भारत के एक प्रमुख अखबार में लिखा था कि अब सख्त और सटीक कार्रवाई का वक्त है — और मुझे यह कहते हुए खुशी है कि भारत ने ऐसा ही किया।”
थरूर ने विस्तार से बताया कि भारत ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों सहित 9 विशिष्ट आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया। उन्होंने कहा, “मुरीदके में लश्कर का मुख्यालय, बहावलपुर में जैश का बेस — ये सभी हमले सोच-समझकर और बहुत सटीक तरीके से किए गए, जिससे यह संदेश गया कि भारत जवाब देने में सक्षम है, लेकिन किसी बड़े युद्ध की ओर नहीं बढ़ना चाहता।”
उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि पाकिस्तान ने हमेशा की तरह हमले से इनकार किया। “इस बार भी पाकिस्तान ने टीआरएफ के दावे को झुठलाया, जबकि यह संगठन प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा का ही एक नया रूप है। दुख की बात है कि चीन की मदद से पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में टीआरएफ का नाम हटवाया।”उन्होंने बताया कि भारत पहले ही 2023 और 2024 में टीआरएफ के खिलाफ जानकारी संयुक्त राष्ट्र को सौंप चुका था और 2025 में इस संगठन ने खुद हमले की जिम्मेदारी ली।
शशि थरूर ने बताया कि यह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल न सिर्फ अमेरिकी प्रशासन और सांसदों से मिलेगा, बल्कि नीति विशेषज्ञों, मीडिया और जनमत को भी भारत की स्थिति समझाएगा। उन्होंने कहा, “हम यह बताना चाहते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ भारत में एक राष्ट्रीय सहमति है। हम कार्यपालिका, विधायिका, नीति विश्लेषकों और जन प्रतिनिधियों से मिलकर भारत का संदेश देंगे कि आतंकवाद के प्रति हमारी सहनशीलता शून्य है।”
थरूर के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न दलों के सांसद शामिल हैं — तेजस्वी सूर्या, भुवनेश्वर के लता (भाजपा), शांभवी चौधरी (लोक जनशक्ति पार्टी), सरफराज अहमद (झारखंड मुक्ति मोर्चा), जीएम हरीश बलयागी (तेलुगु देशम पार्टी), शशांक मणि त्रिपाठी, मल्लिकार्जुन देवड़ा (शिवसेना), और अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत सिंह संधू।
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