कांग्रेस सांसद डॉ. शशि थरूर ने पनामा में अंतरराष्ट्रीय मंच से पाकिस्तान को सख्त संदेश देते हुए कहा कि भारत की शांति की इच्छा का पाकिस्तान ने कोई सम्मान नहीं किया। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर वैश्विक समुदाय से पाकिस्तान पर दबाव डालने की अपील की और साफ कहा कि अब भारत का धैर्य जवाब देने की कगार पर है, लेकिन राष्ट्रीय एकता अडिग है।
थरूर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत की वैश्विक कूटनीतिक पहल के तहत पनामा में पहुंचे हैं, जहां उन्होंने पनामा विधानसभा की अध्यक्ष डाना कास्टानेडा सहित कई सांसदों से मुलाकात की। उन्होंने कहा, “हम बहुत समय से इंतजार कर रहे थे कि पाकिस्तान कुछ करेगा। लेकिन जब कुछ नहीं हुआ, तो 7 मई को हमने आतंकवादी ठिकानों पर सीधा हमला किया।”
डॉ. थरूर ने बताया कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई, जिनमें से अधिकांश पर्यटक थे। इसके दो हफ्तों बाद 7 मई को भारत ने पाकिस्तान के अंदर स्थित आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत युद्ध नहीं चाहता लेकिन आतंकी हमलों को बिना जवाब के छोड़ना अब संभव नहीं। “हम युद्ध नहीं चाहते, लेकिन हम यह भी नहीं चाह सकते कि आतंकवादी हमला हो और हम सिर्फ दुख मनाते रहें,” उन्होंने कहा।थरूर ने बताया कि वे एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ पनामा पहुंचे हैं और इसमें भारत के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं। “हम अलग-अलग पार्टियों से हैं, अलग-अलग विचारधाराएं हैं, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ हमारी एकता मजबूत है,” उन्होंने कहा।
पनामा की संसद में बोलते हुए शशि थरूर ने कहा कि भारत कश्मीर पर कभी समझौता नहीं करेगा। “हम सिर्फ शांति चाहते हैं, लेकिन हमारे पड़ोसी हमारी यह इच्छा नहीं समझते,” उन्होंने कहा। उन्होंने दोहराया कि भारत कभी भी अपने संप्रभु क्षेत्र का एक इंच भी नहीं छोड़ेगा, चाहे इसकी कितनी भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।
थरूर ने चेतावनी देते हुए कहा कि आतंकवादियों को इस बार मुंहतोड़ जवाब मिला है और आगे भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने केवल नियंत्रण रेखा (LoC) पार नहीं की, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सीमा भी लांघी। उन्होंने बताया कि भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर और पंजाब प्रांत में 9 ठिकानों पर हमले किए, जिनमें आतंकी प्रशिक्षण केंद्र, हेडक्वार्टर और बेस शामिल थे।
उन्होंने याद दिलाया कि करगिल युद्ध के दौरान भी भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पार नहीं की थी, लेकिन लगातार आतंकी हमलों के चलते अब भारत को कड़ा कदम उठाना पड़ा है।
थरूर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि भारत को अब केवल सहानुभूति नहीं, सहयोग चाहिए। “हमें बार-बार आकर सिर्फ यह कहने की जरूरत न पड़े कि देखिए हमारे साथ क्या हुआ। अब दुनिया को खुद ही कार्रवाई करनी चाहिए,” उन्होंने कहा। इस भाषण के साथ ही भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी नीति अब रक्षात्मक नहीं, आक्रामक है, और वह अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देगा — चाहे इसके लिए कितनी भी दूर जाना पड़े।
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