अमेरिका ने चीन के छात्रों पर सख्ती और तेज कर दी है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बुधवार को घोषणा की कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ऐसे चीनी छात्रों के वीजा को आक्रामक तरीके से रद्द करने जा रहा है, जो “महत्वपूर्ण क्षेत्रों” में नामांकित हैं या जिनके संबंध चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका अब चीन और हांगकांग के छात्रों के वीजा मानदंडों को सख्त करने की तैयारी कर रहा है। रुबियो ने कहा कि विदेश विभाग वीजा प्रक्रिया में जबरदस्त समीक्षा करेगा ताकि सुरक्षा जोखिमों को कम किया जा सके।
हालांकि “महत्वपूर्ण क्षेत्रों” की स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है, लेकिन रिपोर्टों में माना जा रहा है कि इसका आशय भौतिक विज्ञान, तकनीकी और रक्षा अनुसंधान जैसे क्षेत्रों से है, जिन्हें रणनीतिक रूप से संवेदनशील माना जाता है।
एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार (27 मई) को अमेरिकी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को एक सरकारी संदेश भेजा गया, जिसमें नए वीजा इंटरव्यू फिलहाल स्थगित करने को कहा गया है। इसके पीछे कारण बताया गया कि विभाग अब छात्रों की सोशल मीडिया गतिविधियों की भी गहन जांच करेगा।
बता दें कि चीन, अमेरिका में अध्ययन के लिए छात्रों को भेजने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है। अमेरिकी विश्वविद्यालयों की वार्षिक आय का एक बड़ा हिस्सा अंतरराष्ट्रीय छात्रों के शुल्क पर निर्भर करता है। रुबियो की घोषणा से इन विश्वविद्यालयों पर आर्थिक दबाव बढ़ सकता है। ट्रंप प्रशासन पहले भी ऐसे कदम उठा चुका है। 2020 में हजारों चीनी छात्रों के वीजा रद्द कर दिए गए थे, जिनके संबंध चीनी सैन्य विश्वविद्यालयों से थे। इस बार की सख्ती और व्यापक नजर आ रही है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बेटी शी मिंगज़े ने भी हार्वर्ड में गुप्त नाम से पढ़ाई की थी। ऐसे उदाहरण अब अमेरिका में लगातार बहस का विषय बन रहे हैं। कुछ दिन पहले ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर नए अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने से रोकने की कोशिश की थी। हालांकि, इस फैसले को एक मुकदमे के चलते अस्थायी रूप से रोक दिया गया है।
रुबियो की इस घोषणा ने अमेरिका में पढ़ाई का सपना देख रहे हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्रों, खासकर चीन से आने वाले युवाओं के लिए अनिश्चितता की स्थिति पैदा कर दी है। कड़े वीजा नियमों और सामाजिक जांच की वजह से अब उनका अमेरिकी शिक्षा प्रणाली में प्रवेश पहले से कहीं अधिक कठिन हो सकता है।
जैसे-जैसे अमेरिका और चीन के बीच भू-राजनीतिक तनाव बढ़ता जा रहा है, इसका असर शिक्षा क्षेत्र पर भी साफ़ देखा जा सकता है। आने वाले महीनों में यह देखा जाएगा कि इस फैसले का अमेरिकी विश्वविद्यालयों, छात्रों और द्विपक्षीय संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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