त्वचा की समस्याएं जैसे एक्ने, एक्जिमा, सोरायसिस और डलनेस आमतौर पर बाहरी कारणों — जैसे प्रदूषण, धूप या केमिकल युक्त उत्पादों — से जोड़ी जाती हैं। लेकिन हालिया वैज्ञानिक शोधों से यह स्पष्ट होता जा रहा है कि हमारी त्वचा की सेहत का गहरा संबंध हमारे पाचनतंत्र यानी गट हेल्थ से भी है। विशेषज्ञ इस संबंध को “गट-स्किन एक्सिस” कहते हैं, जो यह दर्शाता है कि आंतें और त्वचा एक-दूसरे से कैसे जुड़ी हुई हैं।
गट-स्किन एक्सिस दरअसल वह जैविक तंत्र है, जिसके माध्यम से हमारे पाचनतंत्र में मौजूद माइक्रोबायोम — यानी अच्छे और बुरे बैक्टीरिया — त्वचा की स्थिति को प्रभावित करते हैं। जब इन बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ता है, तो यह आंतों में सूजन, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और “लीकी गट” जैसी स्थितियां पैदा करता है। इनका सीधा असर त्वचा पर पड़ता है। परिणामस्वरूप एक्ने, रैशेज़, एलर्जी और यहां तक कि क्रोनिक स्किन कंडीशन्स जैसे एक्जिमा और सोरायसिस तक हो सकते हैं।
आंतें हमारे शरीर में सिर्फ पोषक तत्वों के अवशोषण के लिए ही जिम्मेदार नहीं होतीं, बल्कि शरीर में मौजूद हानिकारक टॉक्सिन्स को बाहर निकालने का कार्य भी करती हैं। जब पाचन सही ढंग से काम नहीं करता, तो ये टॉक्सिन्स शरीर में जमा होने लगते हैं। इससे इम्यून सिस्टम अलर्ट हो जाता है, जिससे शरीर में सूजन बढ़ सकती है और यह त्वचा की परतों पर रिएक्शन के रूप में उभरता है — जैसे ब्रेकआउट्स, खुजली या त्वचा की चमक कम हो जाना।
गट हेल्थ को बेहतर करने के लिए सबसे पहले प्रोबायोटिक और प्रीबायोटिक खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। प्रोबायोटिक जैसे दही, कांबुचा या अचार में पाए जाने वाले जीवित बैक्टीरिया आंतों में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या को बढ़ाते हैं। वहीं, प्रीबायोटिक जैसे फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ इन बैक्टीरिया को “खुराक” प्रदान करते हैं, जिससे उनका विकास होता है।
इसी तरह, फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों — जैसे हरी सब्जियां, फल और साबुत अनाज — का सेवन भी पाचन को सुधारता है और शरीर को अंदर से डिटॉक्स करता है। जब शरीर साफ होता है, तो इसका असर त्वचा की रंगत और बनावट पर साफ झलकता है।
दूसरी ओर, अत्यधिक चीनी और प्रोसेस्ड फूड का सेवन गट माइक्रोबायोम के संतुलन को नुकसान पहुंचाता है। इनसे गट फ्लोरा बिगड़ता है और पाचन धीमा पड़ता है, जिससे त्वचा पर एलर्जी और एक्ने जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। हाइड्रेशन यानी पर्याप्त पानी पीना भी गट और स्किन हेल्थ दोनों के लिए बेहद जरूरी है। पानी न केवल शरीर को डिटॉक्स करता है, बल्कि त्वचा को भीतर से मॉइस्चर भी प्रदान करता है, जिससे वह अधिक कोमल और चमकदार नजर आती है।
इसके अलावा, तनाव को नियंत्रित करना भी अनिवार्य है। अत्यधिक मानसिक दबाव शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल को बढ़ाता है, जो आंतों की परत को नुकसान पहुंचा सकता है और लीकी गट सिंड्रोम जैसी स्थितियों को जन्म दे सकता है। यह स्थिति सीधे त्वचा पर असर डालती है। योग, मेडिटेशन और पर्याप्त नींद इस तनाव को कम करने में मददगार हो सकते हैं।
त्वचा की समस्याओं का समाधान केवल क्रीम या टॉपिकल ट्रीटमेंट से नहीं होता। इसके पीछे छिपे मूल कारणों को समझना और उनका समाधान करना जरूरी है। आंतें और त्वचा के बीच का यह गहरा रिश्ता दर्शाता है कि यदि आप अंदर से स्वस्थ हैं, तभी त्वचा भी बाहर से चमकदार और स्वस्थ रह सकती है। संतुलित आहार, नियमित दिनचर्या, तनाव प्रबंधन और सही जल सेवन — ये सभी मिलकर आपके पाचन तंत्र को स्वस्थ रखते हैं, जिससे आपकी त्वचा भी निखरती है।
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