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Tuesday, June 24, 2025
होमन्यूज़ अपडेटकिरू जलविद्युत घोटाला: सत्यपाल मलिक समेत छह के खिलाफ आरोपपत्र दायर

किरू जलविद्युत घोटाला: सत्यपाल मलिक समेत छह के खिलाफ आरोपपत्र दायर

CBI की प्राथमिक जांच में सामने आया कि पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को यह ठेका देने में भारी अनियमितताएं हुई थीं।

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हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर में 2,200 करोड़ रुपये के ठेके में कथित भ्रष्टाचार के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बड़ा कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और पांच अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दायर कर दिया है। यह मामला अब देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी के निशाने पर है और इसकी राजनीतिक गूंज भी तेज हो सकती है।

CBI ने यह आरोपपत्र गुरुवार को दाखिल किया। यह मामला वर्ष 2019 में किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर (HEP) परियोजना के सिविल कार्यों के ठेके को लेकर सामने आया था, जब मलिक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। दिलचस्प बात यह है कि इस घोटाले की बात सबसे पहले खुद सत्यपाल मलिक ने ही उजागर की थी। उन्होंने खुलासा किया था कि उन्हें दो अलग-अलग परियोजनाओं, जिनमें किरू परियोजना भी शामिल थी, की फाइलों को मंजूरी देने के एवज में 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी। हालांकि उन्होंने इसे ठुकरा दिया था।

CBI की प्राथमिक जांच में सामने आया कि पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को यह ठेका देने में भारी अनियमितताएं हुई थीं। चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (CVPPPL) के शीर्ष अधिकारियों के साथ-साथ इस कंपनी के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और नियमों की अनदेखी कर ठेका दिया गया।

2024 में जांच एजेंसी ने दिल्ली और जम्मू समेत आठ स्थानों पर छापेमारी की थी, जिसमें अहम दस्तावेज और डिजिटल सबूत मिले थे। प्राथमिकी के अनुसार, परियोजना में गुणवत्ता से समझौता किया गया और स्थानीय युवाओं को रोजगार देने में भी विफलता दिखाई गई।

624 मेगावाट की क्षमता वाली यह जलविद्युत परियोजना जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर बनाई जा रही है। इसका विकास चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स द्वारा किया जा रहा है, जो NHPC (49%), जम्मू-कश्मीर राज्य विद्युत विकास निगम (49%) और पावर ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन (2%) का संयुक्त उद्यम है।

इस परियोजना को 2008 में पर्यावरण मंत्रालय से सैद्धांतिक मंजूरी मिली थी, जबकि अंतिम पर्यावरणीय स्वीकृति 2016 में दी गई। 2019 में राज्य प्रशासनिक परिषद से इसे मंजूरी प्राप्त हुई और उसी वर्ष इसकी आधारशिला रखी गई। जुलाई 2025 तक इस परियोजना के व्यावसायिक रूप से शुरू होने की उम्मीद है।

फ़िलहाल निगाहें अदालत की आगामी कार्रवाई और CBI की विस्तृत रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो आने वाले समय में और भी चौंकाने वाले खुलासे कर सकती है।

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