मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने वक्फ कृषि भूमि की लीज नीलामी को वैध ठहराते हुए इसके खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सनवर पटेल ने कोर्ट के निर्णय का जोरदार स्वागत करते हुए कहा कि अब राज्य के किसान पूरी पारदर्शिता के साथ वक्फ की कृषि भूमि पर खेती कर सकेंगे।
जबलपुर हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने अमीर आज़ाद अंसारी व अन्य द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने दो मुख्य आपत्तियां उठाई थीं – पहली, कि लीज प्रक्रिया पर हस्ताक्षर करने वाली डॉ. फरजाना गजाल वक्फ बोर्ड की पूर्णकालिक सीईओ नहीं हैं; और दूसरी, कि नीलामी का अधिकार सिर्फ मुतवल्ली को है। कोर्ट ने इन दोनों तर्कों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि डॉ. गजाल की नियुक्ति वक्फ अधिनियम की धारा 23 के तहत विधिवत हुई है और ‘अस्थायी’ शब्द उनकी तय अवधि को दर्शाता है, जिससे उनकी वैधता पर कोई असर नहीं पड़ता।
आईएएनएस से बात करते हुए सनवर पटेल ने कहा, “मध्यप्रदेश संभवतः देश का पहला राज्य बन गया है जहां वक्फ से जुड़ी संपत्तियों के लिए बनी नीति को कोर्ट ने वैध करार दिया है। यह फैसला उन लोगों के लिए बड़ा झटका है जो वर्षों से वक्फ की जमीन पर कब्जा करके खुद लाभ उठा रहे थे। अब यह सब बंद होगा।”
उन्होंने कहा कि यह निर्णय वक्फ बोर्ड को वैधानिक रूप से मजबूत करता है और इसके माध्यम से किसान बिना किसी विवाद के खेती कर सकेंगे। पटेल ने कहा, “हमारी जमीनों को अब भारत सरकार की पट्टा नीति के अनुसार पारदर्शी तरीके से किसानों को खेती के लिए लीज पर दिया जाएगा। इससे न सिर्फ बोर्ड को आय मिलेगी, बल्कि यह आय दानदाताओं की मंशा के अनुसार गरीबों और जनकल्याण के कार्यों में खर्च की जाएगी।”
पटेल ने इसे भूमाफियाओं के लिए सख्त संदेश बताते हुए कहा कि कोर्ट के इस निर्णय से साफ हो गया है कि वक्फ संपत्तियों पर कब्जा कर लाभ उठाने की प्रवृत्ति अब नहीं चलेगी। उन्होंने उन एजेंसियों को भी आड़े हाथों लिया जो गुमनाम याचिकाओं के जरिए लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही थीं।
इस फैसले से मध्यप्रदेश में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बल मिलेगा और किसानों को नए अवसर भी प्राप्त होंगे। साथ ही, कोर्ट का यह निर्णय अन्य राज्यों में भी वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए नज़ीर बन सकता है।
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