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Monday, November 17, 2025
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लड़ाकू विमानों के लिए एचएएल को मिला चौथा जीई-404 जेट इंजन!

एचएएल का कहना है कि इंजन आपूर्ति श्रृंखला में सुधार होने से लड़ाकू विमान तेजस एमके-1ए के उत्पादन और वायुसेना को इसकी डिलीवरी देने के कार्यक्रम में गति आएगी।

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भारतीय फाइटर जेट एलसीए एमके-1ए के निर्माण में तेजी आ रही है। इस श्रेणी के स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस एलसीए एमके-1ए के लिए भारत के एचएएल को चौथा जीई-404 जेट इंजन मिल गया है। यह जानकारी बुधवार को दी गई। एचएएल को बीते महीने सितंबर में ही तीसरा जेट इंजन मिला था।

एचएएल को इस वित्त वर्ष के अंत तक कुल 12 जीई-404 जेट इंजन मिलने की संभावना है। ये सभी इंजन भारतीय लड़ाकू विमान तेजस मार्क-1ए में लगाए जाएंगे।

गौरतलब है कि अमेरिकी कंपनी भारत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को यह जेट इंजन सप्लाई कर रही है। एचएएल के अधिकारियों ने आधिकारिक पुष्टि करते हुए बताया कि, उन्हें एलसीए एमके-1ए के लिए चौथा जीई-404 इंजन मिला है। एचएएल का कहना है कि इंजन आपूर्ति श्रृंखला में सुधार होने से लड़ाकू विमान तेजस एमके-1ए के उत्पादन और वायुसेना को इसकी डिलीवरी देने के कार्यक्रम में गति आएगी।

दरअसल भारतीय वायुसेना ने तेजस एमके-1ए विमानों के निर्माण का ऑर्डर दिया है, जिन्हें आने वाले वर्षों में क्रमिक रूप से डिलीवर किया जाएगा। यह विमान आधुनिक एवियोनिक्स, बेहतर हथियार क्षमता और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम से लैस होंगे।

भारतीय वायुसेना को लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के लिए हाल ही में एक नया अनुबंध किया गया है। इस करार के मुताबिक 62 हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत से भारतीय वायुसेना को 97 स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट उपलब्ध कराए जाएंगे।

इन लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के लिए रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ 97 स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस एमके-1ए की खरीद हेतु 62,370 करोड़ रुपए का अनुबंध किया है। अनुबंध के मुताबिक इनमें 68 सिंगल-सीटर लड़ाकू विमान और 29 ट्विन-सीटर ट्रेनर विमान शामिल हैं।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस आपूर्ति से भारतीय वायुसेना की क्षमता को और मजबूती मिलेगी। लड़ाकू विमानों की डिलीवरी की समय-सीमा की बात करें तो इन विमानों की डिलीवरी वर्ष 2027-28 से शुरू होगी। तय अनुबंध के मुताबिक भारतीय वायुसेना को इन लड़ाकू विमानों की आपूर्ति अगले छह वर्षों में चरणबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी। ये विमान स्वदेशीकरण पर आधारित होंगे और इनमें अंतरराष्ट्रीय स्तर की तकनीकी विशेषताएं होंगी।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस परियोजना में 64 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग होगा। जनवरी 2021 में हुए पहले स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट एमके-1ए अनुबंध की तुलना में इस बार 67 अतिरिक्त स्वदेशी उपकरण शामिल किए गए हैं। इसमें कई प्रमुख उन्नत प्रणालियां सम्मिलित हैं।

भारत के ये स्वदेशी लड़ाकू विमान ‘उत्तम एईएसए’ रडार से लैस होंगे। यह सक्रिय इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे रडार है। इसमें ‘स्वयं रक्षा कवच’ प्रणाली व स्वदेशी नियंत्रण सतह एक्ट्यूएटर्स होंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक इन उन्नत तकनीकों से विमान की युद्धक क्षमता और आत्मनिर्भर भारत पहल को और बल मिलेगा।
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