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Friday, June 13, 2025
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तेजस्वी पहले अपनी पार्टी में लागू करें डोमिसाइल नीति: दिलीप जायसवाल!

तेजस्वी पर दोहरे चरित्र का आरोप लगाते हुए कहा कि जो नेता अपनी पार्टी के भीतर डोमिसाइल नीति लागू नहीं कर सके, वह राज्य में इस नीति को लागू करने का वादा कर जनता को गुमराह कर रहे हैं।

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बिहार में डोमिसाइल नीति लागू करने को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव के वादे पर बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने तेजस्वी पर दोहरे चरित्र का आरोप लगाते हुए कहा कि जो नेता अपनी पार्टी के भीतर डोमिसाइल नीति लागू नहीं कर सके, वह राज्य में इस नीति को लागू करने का वादा कर जनता को गुमराह कर रहे हैं।

दिलीप जायसवाल ने शुक्रवार को समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि यह इन लोगों का दोहरा चरित्र है। जब सत्ता में होते हैं तो ये सब भूल जाते हैं। मैं कहता रहा हूं कि तेजस्वी यादव को पहले अपनी पार्टी में डोमिसाइल नीति लागू करनी चाहिए।

जब राज्यसभा सदस्य बनाना होता है तो हरियाणा से संजय यादव, प्रेम गुप्ता जैसे लोग लाए जाते हैं। जो पार्टी खुद इस नीति को नहीं अपनाती, वह दूसरों को बेवकूफ बना रही है। बिहार की जनता अब जागरूक है और वह इन लोगों के हाथों खुद को ठगने नहीं देगी।

उन्होंने आगे कहा कि तेजस्वी यादव जब प्रदेश के उपमुख्यमंत्री थे, तब उन्हें डोमिसाइल नीति की याद क्यों नहीं आई। सरकार में रहते हुए इस दिशा में कोई पहल नहीं की और अब चुनावी मौसम में वादों की झड़ी लगाई जा रही है। यह केवल जनता को धोखा देने का प्रयास है।

उत्तराखंड के मदरसों में ऑपरेशन सिंदूर को पाठ्यक्रम में शामिल करने के फैसले पर भी दिलीप जायसवाल ने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि बचपन से ही हमने स्कूलों में महापुरुषों और शूरवीरों की गाथाएं पढ़ी हैं।

यदि भारतीय सेना के पराक्रम, साहस और बलिदान की कहानियां नए भारत की युवा पीढ़ी को पढ़ाई जा रही हैं, तो यह बेहद गर्व का विषय है। इससे बच्चों में देशभक्ति की भावना मजबूत होगी और वे देश की शक्ति को समझ पाएंगे।

बिहार के बक्सर जिले में चार लोगों की हत्या की घटना पर बोलते हुए जायसवाल ने कहा कि जल्दबाजी में किसी पर आरोप नहीं लगाया जा सकता। इस घटना की तह तक जाना जरूरी है। यह आपसी विवाद था या बालू माफिया से जुड़ा मामला, यह जांच का विषय है। बालू के खेल में तो राजद के कई लोगों की संलिप्तता रही है। जब तक जांच पूरी नहीं होती, तब तक विधि व्यवस्था पर सवाल उठाना जल्दबाजी होगी।

 
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