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Saturday, September 21, 2024
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राहुल बने “कालिदास” दादी इंदिरा और राजीव पर सवाल!     

अमेरिका में राहुल गांधी ने कहा कि 80 के दशक में जो दलितों के साथ हुआ अब मुस्लिमों के साथ हो रहा है। बताते चले कि 80 के दशक में केंद्र में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार थी।

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी दस दिन के अमेरिका दौरे पर हैं। उन्होंने मंगलवार को “मोहब्बत की दुकान’ कार्यक्रम में भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा कि 80 के दशक में जो दलितों के साथ हो रहा था वही सब अब मुस्लिमों के साथ हो रहा है। यह केवल यूपी की कहानी है। इस दौरान राहुल गांधी ने यह भी कहा कि यहां मतलब भारत के कुछ लोगों को लगता है कि वे सब कुछ जानते हैं। लेकिन यहां अलग अलग भाषा बोलने वाले रहते हैं। इसलिए ऐसा सोचने वाले लोग गलत हैं कि एक व्यक्ति सबकुछ जानता है।

उन्होंने कहा कि यह एक तरह की बीमारी है। राहुल गांधी ने इस मौके पर यह भी कहा कि पीएम मोदी भगवान को समझा सकते हैं। यह राहुल गांधी के अपने विचार हैं। क्या कभी पीएम मोदी ने ऐसा कहा कि वे सबकुछ जानते हैं ? यह बात राहुल गांधी से पूछी जानी चाहिए। एक व्यक्ति  किसी भी मुद्दे पर अपना विचार क्यों नहीं दे सकता है जैसा राहुल गांधी पीएम मोदी पर अपने विचार दे रहे है।

बहरहाल, हम राहुल गांधी बनाम पीएम नरेंद्र मोदी के मुद्दे पर बहस नहीं कर हैं। बल्कि हम उस मुद्दे की बात करते हैं जिसमें राहुल गांधी ने यह कहा कि 80 के दशक में जो दलितों के साथ हुआ अब मुस्लिमों के साथ हो रहा है। और यह सब यूपी में हो रहा है। बताते चले कि 80 के दशक में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार थी। तो राहुल गांधी अपने दादी को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।

वैसे इतिहास की बात करने से पहले वर्तमान की बात भी कर ली जाए। जिस तरह से  राहुल गांधी विदेश में जाकर “मोहब्बत की दूकान में नफरत के बीज बो रहे हैं। उसकी लहलहाती फसल में राहुल गांधी देश को झुलसाने पर आमादा है। राहुल गांधी बीजेपी और संघ से नफ़रत करते हैं। यह सभी जानते हैं। लेकिन उनके दिमाग में बीजेपी और संघ एक बीमारी की तरह ऐसे घुसा है जिसे वे बाहर ही नहीं निकल पा रहे हैं।

राहुल गांधी ने कभी भी गांधी परिवार के तौर पर एक नेता के रूप में देशहित में बात नहीं की। वे केवल एक तानाशाह की तरह आते हैं और जनता द्वारा चुनी गई सरकार के खिलाफ सिर्फ बयानबाजी करते हैं। इतना ही नहीं, उनके साथ आये लोग भी इस पर ताली बजाते हैं। कहने का मतलब यह है कि राहुल गांधी कभी भी एक परिपक्व नेता की तरह बात नहीं किये। उन्होंने देश के सामने कभी भी कोई विजन या मिशन नहीं रखा। वे एक राज परिवार में जन्मे युवराज की तरह व्यवहार करते हैं। जैसे मनमोहन सरकार द्वारा लाये गए अध्यादेश की कॉपी को फाड़ देना।
कुर्ते की आस्तीन चढ़ाकर यह कहना कि मै वीर सावरकर नहीं हूं ,जो माफ़ी मांगू, मै राहुल गांधी हूं। क्या कोई मनोभाव समझने वाला विशेषज्ञ यह कह सकता है कि जब यह बात राहुल गांधी बोल रहे थे तब उनके चेहरे पर नफरत के भाव नहीं थे। उस समय उनके चेहरे पर प्रेम का भाव था। एक तरह से कहा जा सकता है कि राहुल गांधी पीटर पैन सिंड्रोम से ग्रसित हैं। या कालिदास की तरह जिस डाल पर बैठे हैं उसी को काट रहे हैं। राहुल गांधी 50 साल के हो गए हैं, लेकिन उन्हें कांग्रेस नेता युवा नेता कहकर सम्बोधित करते हैं।

राहुल गांधी कभी भी एक जिम्मेदार नेता के रूप में दिखाई नहीं दिए। इससे पहले राहुल देश और पार्टी को अपने हाल पर छोड़कर विदेश चले जाते रहे हैं। अब विदेश में जाकर गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं। हां बता दें कि पीटर पैन सिंड्रोम वह बीमारी होती है जिसमें व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, लेकिन व्यक्ति कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है या वह छोटे बच्चों जैसी हरकत करता है। उसी तरह कहा जाता है कि ज्ञान प्राप्त करने से पहले कालिदास जिस डाल को काट रहे थे उसी बैठे थे।

बहरहाल, यह तो रही वर्तमान स्थिति। अब इतिहास की बात करते हैं। शायद राहुल गांधी को यह पता नहीं है कि 80 के दशक में कांग्रेस की इंदिरा गांधी की सरकार थी। जनवरी 1980 से लेकर अक्टूबर 1984 तक कांग्रेस की सरकार थी, जिसका नेतृत्व उनकी दादी इंदिरा गांधी कर रही थी। यानी इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी। जबकि उनके पिता राजीव गांधी अक्टूबर 1984 से लेकर दिसंबर उन्नीस सौ नवासी तक पीएम के पद पर थे। इतना ही नहीं उस समय भी यूपी में कांग्रेस की ही सरकार थी। लेकिन, राहुल को कौन समझाये की जाने अनजाने में वे अपनी दादी और पिता को ही कटघरे में खड़ा कर रहे है। इससे साफ कहा जा सकता है कि वे परिपक्व नेता नहीं है बल्कि वे गलतियां करने वाले कांग्रेस के नेता है जो बार बार बीजेपी बैठे बैठाये हमला करने का मौक़ा देते हैं।

अब बात उस मुद्दे की जिसमें उन्होंने कहा कि दलितों की तरह मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है। ऐसा नहीं है कि उस समय केवल दलितों पर ही अत्याचार हो रहे थे। मुस्लिम भी निशाना बने थे। इसके तथ्य रख रहा हूं. लेकिन सवाल यह कि 80 के दशक में लगभग सभी राज्यों में कांग्रेस की ही सरकार रही होगी। राहुल गांधी को बताना चाहिए की उस समय कांग्रेस की यूपी की सरकार दलितों पर अत्याचार के लिए क्यों नहीं कदम उठाये। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी की 1990 में तीन राज्यों में पहली बार सरकार बनी थी।

वे राज्य थे, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हिमाचल हैं। ऐसे में राहुल गांधी “कहना क्या चाहते हो” वाले सवाल से गुजर रहे हैं। 9 मई 1980 में अल्मोड़ा जिले में दलितों पर सबसे बड़ा अत्याचार हुआ था। यह घटना सबसे बड़ी बताई जाती है। इस समय देश विदेश की मीडिया ने इस खबर को कवर किया था, इसमें 14 दलितों की मौत हुई थी। इतना ही नहीं तब के गृह मंत्री ज्ञानी जैल सिंह भी मौके का दौरा किया था।

अब उस समय हुए मुस्लिम दंगों की बात करते हैं। तो 80 के दशक में 21 और 22 मई को  हाशिमपुरा में मुस्लिम युवकों को गोलियों से भून दिया गया था, जिसकी कभी जांच भी नहीं हुई। इस घटना के एक दिन बाद मेरठ में अड़सठ मुसलमानों को मारा गया था। वहीं उन्नीस सौ नवासी में भड़के दंगे में भी लोग मारे गए थे। इसी तरह 1980 में मुरादाबाद में दंगे भड़के थे। जिसमें कई लोगों की जानें गई थीं। अब इसकी रिपोर्ट योगी सरकार द्वारा विधानसभा के पटल पर रखने वाली है।

इसमें तिरालीस लोग मरे थे जबकि 112 लोग घायल हुए थे। इसी मुजफ्फरनगर में उन्नीस सौ अठासी में भी दंगे हुए थे। तब कांग्रेस की सरकार थी। वैसे मुजफ्फरनगर में लगभग 12 बार दंगा हुआ है। अब जब से यूपी में योगी की सरकार हैं, तब से राज्य में एक भी दंगे फसाद नहीं हुए हैं। हाल ही में कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में नवमी पर कई बार दंगा फसाद हो चुके हैं। इसी तरह बंगाल में भी रामनवमी पर दंगे हुए है। लेकिन बीजेपी शासित राज्यों में शांति रही।

 

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