चर्चित गीतकार और लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला ने देश के खिलाफ कथित जासूसी मामले में गिरफ्तार यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान के परमाणु बम से नहीं, बल्कि देश के अंदर छिपे “कीटाणु बमों” से ज्यादा खतरा है, जिनका सफाया जरूरी है।
गौरतलब है कि ज्योति मल्होत्रा, जिन्होंने 2019 में व्लॉगिंग शुरू की थी और पाकिस्तान समेत कई देशों में वीडियो बनाकर लोकप्रियता हासिल की थी, इन दिनों आईएसआई और पाकिस्तानी दूतावास के संपर्क में होने के आरोपों को लेकर जांच एजेंसियों के घेरे में हैं।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मनोज मुंतशिर ने कहा,“मुझे यह जानकर बड़ी शर्मिंदगी होती है। यूट्यूबर्स का काम भी राष्ट्र निर्माण का है। अगर वे देशद्रोह में लिप्त पाए जाएं, तो यह बहुत ही चिंताजनक बात है। मैं हमेशा कहता हूं कि भारत को खतरा पाकिस्तान के परमाणु बम से नहीं, बल्कि अपने देश के अंदर मौजूद ‘कीटाणु बमों’ से है। इनका सफाया होना ही चाहिए।”
हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर उठ रहे सवालों पर भी मुंतशिर ने नाराज़गी जाहिर की। उन्होंने कहा,“हर युग में सवाल उठे हैं — श्रीराम और श्रीकृष्ण तक पर सवाल उठे। तो अगर आज ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठ रहे हैं, तो इसमें आश्चर्य की बात नहीं है। लेकिन सवाल पूछने की इस प्रवृत्ति के बीच हम सेना के साहस का उत्सव कब मनाएंगे? हमें अपनी सेना का मनोबल बढ़ाना चाहिए, न कि निराधार सवालों से उसका हौसला तोड़ना चाहिए।”
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाक संघर्ष विराम पर मध्यस्थता की पेशकश को लेकर मनोज मुंतशिर ने इसे ‘हास्यास्पद’ और शिमला समझौते की आत्मा के विरुद्ध बताया।
उन्होंने कहा,“यह भारत और पाकिस्तान के बीच का मामला है। ट्रंप या किसी तीसरी शक्ति की इसमें कोई भूमिका नहीं है। कश्मीर भारत का आंतरिक विषय है और हम इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दा मानते ही नहीं। ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश बेहद बेमानी और अस्वीकार्य है।”
मनोज मुंतशिर ने सरकार और खुफिया एजेंसियों से अपील करते हुए कहा कि सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर लोकप्रियता पाने वाले लोग यदि देशविरोधी गतिविधियों में शामिल पाए जाएं, तो यह गंभीर खतरे का संकेत है। “एजेंसियों को सतर्क रहकर काम करना होगा, क्योंकि लोकप्रियता का मतलब राष्ट्रभक्ति नहीं होता,” उन्होंने कहा।
मनोज मुंतशिर का यह बयान ऐसे समय आया है जब राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील घटनाओं को लेकर देशभर में बहस तेज है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत को बाहरी हमलों से कम, भीतर के विश्वासघातों से ज्यादा खतरा है, जिनका मुकाबला पूरे समाज को एकजुट होकर करना होगा।
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