भारत की सेना द्वारा 7 मई को अंजाम दिए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में आतंकवाद के एक कुख्यात चेहरे अब्दुल रऊफ अजहर को मार गिराने की पुष्टि होने के बाद देश की सुरक्षा एजेंसियों ने इसे “आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक मोड़” करार दिया है। जैश-ए-मोहम्मद का यह शीर्ष आतंकी न सिर्फ कंधार प्लेन हाईजैक,बल्की भारतीय संसद पर हमला, और पठानकोट एयरबेस अटैक का मास्टरमाइंड था, बल्कि देश में कई अन्य जघन्य आतंकी हमलों का भी प्रमुख सूत्रधार रहा है।
भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार, अब्दुल रऊफ अजहर के साथ उसके 14 परिजन भी मारे गए हैं। ये सभी जैश के आतंकी नेटवर्क का हिस्सा थे और पाकिस्तान व पीओके में सक्रिय आतंकवादी ठिकानों को संभालते थे। ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने 9 टारगेटेड स्ट्राइक की थीं, जिनमें रऊफ का अड्डा भी शामिल था।
यह वही रऊफ अजहर है जिसे भारतीय नागरिक “कंधार अपहरण” के दर्द से पहचानते हैं। 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 के अपहरण का यह मास्टरमाइंड, मसूद अजहर का छोटा भाई था। यह वही कुख्यात ऑपरेशन था जिसके बाद भारत को तीन बड़े आतंकियों को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था—इनमें खुद मसूद अजहर भी शामिल था।
रऊफ अजहर के खिलाफ भारत ने 2000 से ही रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवा रखा था। अमेरिका ने 2010 में उसे ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया था और भारत ने 2020 में UAPA कानून के तहत उसे नामित आतंकी सूची में शामिल किया था।
इसकी संलिप्तता केवल एक-दो हमलों तक सीमित नहीं थी। वह जम्मू-कश्मीर के कठुआ, सांबा, तंगधार और पंजाब के गुरदासपुर तक में कई आतंकी हमलों में शामिल रहा। भारत की ‘मोस्ट वांटेड’ लिस्ट में उसका नाम शीर्ष पर था।
भारत ने यह ऑपरेशन 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले के जवाब में शुरू किया था, जिसमें 25 भारतीय और 1 नेपाली नागरिक मारे गए थे। ये सभी पर्यटक थे, और यह हमला देश को झकझोर देने वाला था। इसके बाद ही 6-7 मई की रात भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादी ठिकानों पर जवाबी हमले किए।
भारतीय सेना ने इसे “नॉन-एस्केलेटरी प्रिसिजन स्ट्राइक” बताया—यानी, सैन्य ठिकानों को टारगेट किए बिना सिर्फ आतंक के ढांचे को ध्वस्त करना। भारत सरकार और सेना ने इस ऑपरेशन के जरिए एक स्पष्ट संदेश दिया है—”भारत अब सिर्फ प्रतिक्रियावादी नहीं, बल्कि निर्णायक रणनीतिक बल” है। जैश-ए-मोहम्मद की रीढ़ माने जाने वाले अब्दुल रऊफ अजहर की मौत से आतंक के नेटवर्क को भारी झटका लगा है।
यह कार्रवाई सिर्फ एक आतंकी को मार गिराने तक सीमित नहीं, बल्कि उस पूरे आतंकी मॉडल के खिलाफ है जो दशकों से पाकिस्तान की सरजमीं पर पलता और फलता रहा है।
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