मुंबई के वर्ली इलाके से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां खुद को ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ बताने वाले एक फर्जी डॉक्टर ने 24 वर्षीय फूड डिलीवरी बॉय को ऐसा इलाज दिया कि उसकी रीढ़ की हालत और बिगड़ गई। पीड़ित अविनाश समिंदर ने डॉक्टर अतुल वानखेड़े के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है, जिसके आधार पर मुंबई पुलिस ने 23 अप्रैल को उसे गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
समिंदर को 2016 से पीठ दर्द की शिकायत थी। नवंबर 2024 में उन्होंने इंटरनेट के माध्यम से डॉक्टर वानखेड़े से संपर्क किया, जो खुद को नानावटी अस्पताल से जुड़ा ऑर्थोपेडिक सर्जन बताता था। 19 नवंबर को हुई परामर्श के दौरान डॉक्टर ने बिना किसी जांच या दवा के केवल व्यायाम की सलाह दी और बाद में एक दर्द निवारक गोली दी। इसके बाद समिंदर की रीढ़ की हालत और गंभीर हो गई।
समिंदर जो चेंबूर के हरिजन विजय हाउसिंग सोसायटी में रहते हैं, ने जब डॉक्टर की पृष्ठभूमि की जांच की तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। उसके दोस्त अशोक कांबले ने डॉक्टर की डिग्रियों और दस्तावेजों की जांच की और पाया कि अतुल वानखेड़े की ऑर्थोपेडिक डिग्री फर्जी है। वानखेड़े ने कथित तौर पर जुहू निवासी पृथ्वीराज भाटिया के फ्लैट का गलत इस्तेमाल कर आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस और वोटर आईडी जैसे दस्तावेज बनवाए थे। शिकायत के अनुसार जब भाटिया और उनकी बेटी ने इसका विरोध किया, तो उन्हें धमकियां भी दी गईं।
मामले की जांच में यह भी सामने आया कि वानखेड़े के खिलाफ 2015 से ही इस तरह की धोखाधड़ी की शिकायतें मौजूद हैं। महाराष्ट्र मेडिकल एजुकेशन काउंसिल से प्राप्त दस्तावेज और डायरेक्टर दिनेश वाघमारे से हुई बातचीत के अनुसार, वानखेड़े के पास पुणे के केईएम अस्पताल से ‘मास्टर ऑफ ऑर्थोपेडिक्स’ की कोई मान्य डिग्री नहीं है, जैसा कि वह दावा करता रहा है।
पुलिस ने वानखेड़े के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, जिनमें चिकित्सा धोखाधड़ी, जानबूझकर गलत इलाज देना, और दस्तावेजों की फर्जीवाड़ा जैसी गंभीर धाराएं शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच जारी है और अन्य पीड़ितों से भी संपर्क किया जा रहा है।
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