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Thursday, June 19, 2025
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राहुल गांधी का किस किससे प्यार करूं?

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भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष हुआ—इसे आप पाकिस्तान की कुटाई भी कह सकते हो। इस संघर्ष के दौरान पाकिस्तान ने भारतीय सीमा से सटे रिहायशी इलाकों पर हमले किए। पाकिस्तान ने दिल्ली की तरफ फतह 2 मिसाइल भी दाग दी थी। लेकीन यह सारे हमले नाकाम हुए—भारत की त्रिस्तरीय रक्षा प्रणालियों के सामने पकिस्तान के मिसाइल और ड्रोन हमलें धाराशाई हुए। वहिं भारत ने पाकिस्तान को दिए घाव इतने गहरें है की 10 तारीख के बाद से रोज देर रात नूर खान एयर बेस से आवाजें आती है ‘मोदी को मत बताना’. पाकिस्तान ने इस संघर्ष के दौरान चीन से मिले HQ-9 मिसाइल, और JF-17 थंडर  भी इस्तेमाल कर लिए लेकीन सफलता नहीं मिली। चीनी मिसाइल और एयर डिफेंस सिस्टम ऐसे फुस्स हो गए जैसे दीवाली के पटाख़े। चीनी टेक्नोलॉजी ऐसे एक्सपोज हुई की कल को भारतीय सेना चीन की ओर मोर्चा खोल दे तो आधा चीन बिल में घुस जाए। चीनी डिफेन्स कंपनी चेंगडु को इससे करारा झटका लगा है। और उनके पास मुंह छुपाने के लिए जगह नहीं है। 

इसीलिए चीन बार-बार यह जानने की कोशिश कर रहा है, की भारत नुकसान कितना हुआ। वैसे तो पाकिस्तान 6 राफेल गिराने की हवाबाज़ी कर रहा है, लेकीन यह देस दुनिया को इतनी टोपी पहना चूका है की इसके दावे पर खुद पाकिस्तानी भरोसा नहीं करते तो चीनी क्या करेंगे। 

अगर आपको याद हो तो एयर मार्शल ए.के.भारती से जब भारतीय एयरक्राफ्ट उड़ाने की बात निकली थी, तब उन्होंने कहा था ‘हमारे सारे पायलट सही सलामत है, सभी ठीक है। संघर्ष में घाटा होना आम बात है।’ इसी के साथ उन्होंने कहा था की वो अभी ऐसी किसी भी जानकारी को साझा नहीं करेंगे जिससे शत्रु चौकन्ना हो जाए। इसी के बाद चीनीयों की किरकिरी हो राखी है। उन्हें किसी भी हालत में भारत का नुकसान कितना हुआ इसे जानना है। 

लेकीन पिछले 3 दिन से कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक ही रट लगाए दीखते है। उन्होंने मोदी सरकार को घेरने के लिए नरेटिव छेड़ रखा है की ‘विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी पाकिस्तान को दी है। इसी जानकारी देने के कारण भारतीय वायुसेना ने कितने जेट खोए है।’ पीआईबी ऑफिशियल और विदेश मंत्रालय की और से इस नरेटिव को छेद देने के बाद भी राहुल गांधी और उनके पोंके-पंटर यही सेम नरेटिव  दिए जा रहें है। 

राहुल गांधी के इस सवाल का फायदा पाकिस्तानी मीडिया ने खूब उठाया है। पाकिस्तानी आर्मी और उनकी प्रोपोगेंडा मीडिया लगातार इस बात को फ़ैलाने की कोशिश कर रही है की भारत के जेट्स संघर्ष के दौरान गिरे है। जबकी चीन शायद अभी भी जवाब खोज रहा है। यह कोई पहली बार नहीं है की राहुल गांधी के ऐसे जवाब उजागर करना चाहते है जिसका अप्रत्यक्ष फायदा शत्रु राष्ट्रों को हो। उन्होंने राफेल जहाजों की खरीदी की समय भी मोदी सरकार पर ऐसे इल्जाम लगाए थे की भारत सरकार को राफेल में लगे अत्याधुनिक और शक्तिशाली प्रणालियों की जानकारी देनी पड़े। ऐसी जानकारी शत्रुओं को सचेत करती है–तैयारी का मौका देती है।

जब से अमेरिका में डीप स्टेट को टक्कर देते हुए रिपब्लिकन सत्ता में लौटे है—सीआईए और अन्य एजेंसियों पर एक एक कठोर अंकुश लगाकर रखा गया है। बिना डॉलर्स के बांग्लादेश के यूनुस को बड़ा झटका लगा है, उसे समझ नहीं आ रहा था की करना क्या है—भारत से भी दुश्मनी मोड़ ली थी। आखिर यूनुस चीन जा आया और भारत को घेरने के आदेश ले आया। भारत के चिकन नेक नाम से मशहूर सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर चीन ने आंख़े गढ़ी है–इसीलिए यहां से केवल १२ किलोमीटर दूर लाल-मुनीर हाट के हवाई अड्डे को सक्रीय किया जा रहा है। बांग्लादेश यह सब चीन के इशारे पर कर रहा है यह बात बच्चा भी समझ सकता है। लेकीन इस बात को नोट करने की जरुरत है की जब अमेरिकी डीप स्टेट गिरा तब चीनी कनेक्शन एक्टिव हुआ। 

राहुल गांधी पर पिछले कुछ सालों से डीप स्टेट के साथ मिलकर अडानी इंडस्ट्रीज पर लक्ष्यित हमले करने के आरोप है। अर्थात जब हिंडेनबर्ग और ओसीसीआरपी भारत सरकार पर कोई आरोप लगाया करते थे तब राहुल गाँधी सिस्टम सक्रीय होता था, हो न हो ऐसी रिपोर्ट हमेशा लोकसभा अधिवेशन के आस पास ही आया करती थी और पूरी कोंग्रेसी मशीनरी, कांग्रेसी इकोसिस्टम इस रिपोर्ट के इर्द गिर्द मोदी सरकार पर निशाना लगाती थी। यह ओसीसीआरपी और हिंडेनबर्ग जैसे कंपनियों के कनेक्शन डीप स्टेट से है—जॉर्ज सोरोस से यह सब जानते है। जैसे की यह कनेक्शन पहले हमने शेख यूनुस के साथ देखा था। शेख यूनुस डीप स्टेट के गैर-हाजरी में चीन से ऑर्डर ले रहा है, इसीलिए लाल-मुनीर हाट का हवाई अड्डा सक्रीय कर रहा है। अब सवाल है की क्या राहुल गांधी भी डीप स्टेट की गैरहाजरी में चीन से ऑर्डर ले रहें है?

राहुल गांधी का चीन कनेक्शन कोई नया नहीं है। 7 अगस्त 2008 को कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ चाइना के बीच में एक करार हो चूका है—जिसके डिटेल्स बड़े से बड़े कोंग्रेसी नेता तक नहीं जानते केवल, राहुल गांधी और सोनिया गांधी जानती है। इसके बाद इन दोनों नेताओ के राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन की एम्बेसी ने लाखों रुपए की फंडिंग की जानकारी भी सामने है। 

और यह पहली बार नहीं की राहुल गांधी चीनी हित में जा रहें हो 2020 में लदाख में इंडियन आर्मी और पीएलए के बीच संघर्ष हुआ –जिसमें हमारे 20 जवानों को वीरगति मिली थी। वहीं 40 से भी ज्यादा पीएलए सैनिक मारे गए थे। उस वक्त भी लोग कह रहे थे राहुल गांधी चीन की लाइन लेकर चल रहें है। 2022 में राहुल गांधी ने कहा अरुणाचल में चीनी आर्मी भारतीय जवानों को पिट रही है। इसके बाद  राहुल गांधी बार-बार यही भ्रम फ़ैलाते दिखे की चीनी की पीएलए भारत की सीमा में घुसी आयी है और कई हजार एकड़ क्षेत्रफल कब्जाया है। 

पिछले दिनों सीसीपी यानि कोऑर्डिनेशन कमीटी ऑफ़ पीस राहुल गांधी से मिली। यह एक नक्सल बॅक संस्था बताई जाती है—या कहें अर्बन नक्सल संस्था। भारत सरकार ने 30 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को समाप्त करने की कसम खाई है–जिसके बाद सैकड़ों की संख्या में नक्सलवादी ठोकें गए है – सैंकड़ों सरेंडर भी हुए है। नक्सलियों को आर्मी और सीआरपीएफ जवानों से रोज मुंह की खानी पड रही है। यह सैन्य अभियान इतना तेज हो चूका है की चीन पोषित नक्सलीयों को भागने के लिए जमीन भी छोटी पड रही है। ऐसे में सीजफायर के माध्यम से उन्हें राहत मिले यही सीसीपी की कोशिश बताई जा रही है। इसीलिए यह चीन समर्थित संस्था राहुल गांधी से मिलने पर लोगों की भौहें चढ़ी हुई है। 

राहुल गांधी उनकी मदद कर सकते है—सरकार पर दबाव डाल सकते है—डालेंगे क्यों नहीं—भारत जोड़ो यात्रा के दरम्यान इन्हीं अर्बन नक्सल संस्थाओं ने उनकी मदद की थी। करीब 70 ऐसी संस्थाएं भारत जोड़ो यात्रा में शामिल थीं ऐसा इंटेलीजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट बताती है। 

कभी राहुल गांधी ऐसे स्टेटमेंट्स देते है जिससे पकिस्तान को मदद मिलती है, कभी ऐसे देते है जिससे डीप स्टेट की ताकतो को मदद मिलती है, कभी राहुल गांधी कुछ ऐसा करते है–कुछ ऐसा बोलते है जिससे चीन का फायदा होना है—कभी वो भारत के नक्सलवाद से जुड़े ऑर्गनाइजेश से मिलने के लिए आलोचना झेल रहें होते है। आखिर राहुल गांधी किस्से प्रेम करते है?—किससे लगाव रखते है?

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