ईरान और इजरायल के बीच 12 दिन चले भीषण संघर्ष और 24 जून को हुए युद्धविराम के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई पहली बार सार्वजनिक रूप से नजर आए। शनिवार को मुहर्रम के धार्मिक कार्यक्रम में खामेनेई की मौजूदगी ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी।
86 वर्षीय अयातुल्ला खामेनेई लंबे समय से सार्वजनिक रूप से अनुपस्थित थे। संघर्ष के दौरान उनकी केवल रिकॉर्डेड वीडियो और सोशल मीडिया पोस्ट सामने आई थीं, जिससे उनकी स्थिति को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही थीं। लेकिन मुहर्रम के जुलूस में जब वे काले वस्त्रों में दिखाई दिए, तो समर्थकों ने ‘लब्बैक या हुसैन’ के नारों से उनका स्वागत किया। उन्होंने हाथ हिलाकर और सिर झुकाकर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया, हालांकि उन्होंने कोई सार्वजनिक भाषण नहीं दिया।
यह कार्यक्रम इमाम हुसैन की शहादत की याद में आयोजित किया गया था, जो शिया मुसलमानों के लिए अत्यंत भावनात्मक और धार्मिक महत्व रखता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि खामेनेई की यह सार्वजनिक उपस्थिति विरोधियों को यह स्पष्ट संकेत देती है कि ईरान संघर्ष के बावजूद स्थिर और आत्मविश्वास से भरपूर है। लंबे समय तक भूमिगत रहने की अफवाहों के बीच उनकी यह मौजूदगी ईरानी सत्ता की निरंतरता और मजबूती का प्रतीक मानी जा रही है।
इससे पहले कई रिपोर्टों में दावा किया गया था कि संघर्ष के दौरान खामेनेई बंकर में थे और उन्होंने केवल वीडियो संदेशों के जरिए जनता से संपर्क बनाए रखा। ईरानी प्रशासन बार-बार उनके स्वस्थ होने का दावा करता रहा, लेकिन उनकी गैरमौजूदगी को लेकर संदेह बना हुआ था।
ईरान की न्यायपालिका के मुताबिक, इस संघर्ष में अब तक 900 से अधिक लोगों की मौत हुई है। वहीं, अमेरिकी हमलों से ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी को भारी नुकसान पहुंचा है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि न्यूक्लियर संरचनाएं किस हद तक क्षतिग्रस्त हुई हैं। ईरान और इजरायल के इस टकराव के बीच अयातुल्ला खामेनेई की सार्वजनिक मौजूदगी अब क्षेत्रीय राजनीति में नए संकेत और समीकरण तय कर सकती है।
यह भी पढ़ें:
विश्व जूनोसिस दिवस : जानिए क्या हैं जूनोटिक रोग, कैसे करें बचाव!
गोपाल खेमका हत्याकांड:’एक-दो दिन में सामने आ जाएगा पूरा सच’
एलन मस्क ने बनाई ‘अमेरिका पार्टी’: “अब वक्त है आज़ादी लौटाने का”
प्रवीण नेट्टारू हत्याकांड में NIA को बड़ी सफलता; 2 साल बाद मुख्य आरोपी गिरफ्तार !
