ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज और एस्फाहान— पर अमेरिका द्वारा किए गए भीषण हवाई हमलों के बाद, ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का घोर उल्लंघन करार दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है, ने एक शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाकर वैश्विक कानूनों का अपमान किया है।
अराघची ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस संबोधन के बाद यह बयान दिया, जिसमें ट्रंप ने इन हमलों को “सफल सैन्य अभियान” बताते हुए कहा था कि अमेरिका ने इज़रायल के साथ मिलकर ईरान की परमाणु संवर्धन क्षमताओं को नष्ट करने की मंशा से यह कदम उठाया। अमेरिका का यह ऑपरेशन इज़रायल द्वारा 13 जून को शुरू किए गए सैन्य अभियान का विस्तार था।
ईरानी विदेश मंत्री ने एक्स न्यूज चैनल पर कहा, “आज सुबह जो हुआ वह बेहद खतरनाक, अवैध और आपराधिक है। इसका असर हमेशा के लिए रहेगा। दुनिया के हर देश को इसकी चिंता होनी चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि, “ईरान को अब संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत अपने आत्मरक्षा के अधिकार को लागू करने का पूरा हक है, और देश अपने नागरिकों, संप्रभुता और हितों की रक्षा के लिए हर विकल्प अपनाएगा।”
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हमले के कुछ ही घंटों बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, “मैं उन महान अमेरिकी देशभक्तों को बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने आज रात उन शानदार मशीनों को उड़ाया। यह एक ऐसा ऑपरेशन था जैसा दुनिया ने दशकों में नहीं देखा।” उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका को उम्मीद है कि अब ऐसी कार्रवाइयों की जरूरत दोबारा न पड़े।
ट्रंप ने दो टूक कहा, “यह जारी नहीं रह सकता। ईरान के लिए या तो शांति होगी या त्रासदी। पिछले आठ दिनों में हमने जो देखा है, वह और भी भयानक हो सकता है। याद रखिए, अभी कई लक्ष्य बचे हैं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि इस ऑपरेशन का उद्देश्य ईरान की परमाणु संवर्धन क्षमता को खत्म करना और आतंकवाद प्रायोजित करने वाले देश द्वारा उत्पन्न खतरे को समाप्त करना था।
गौरतलब है कि ईरान और वैश्विक शक्तियों के बीच 2015 में हुए परमाणु समझौते से अमेरिका 2018 में ट्रंप प्रशासन के दौरान बाहर हो गया था। इसके बाद से ही अमेरिका और ईरान के बीच कूटनीतिक तनाव लगातार गहराता गया। अब इज़रायल के साथ मिलकर अमेरिका का यह सीधा सैन्य हस्तक्षेप क्षेत्रीय संघर्ष को और व्यापक बना सकता है।
अपने संबोधन में ट्रंप ने इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का विशेष रूप से धन्यवाद देते हुए कहा, “हमने एक टीम के रूप में काम किया, जैसा शायद पहले कभी किसी टीम ने नहीं किया। हमने इज़रायल के लिए इस भयानक खतरे को काफी हद तक मिटा दिया है।” उन्होंने इज़रायली सेना की भी सराहना की।
यह घटनाक्रम इस ओर संकेत करता है कि अमेरिका और इज़रायल मिलकर ईरान के परमाणु और सैन्य ढांचे को लक्षित करने के लिए एक नया आक्रामक मोर्चा खोल चुके हैं, जिसकी प्रतिक्रिया अब ईरान के पाले में है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस उभरते संकट को लेकर गंभीर चिंता जता रहा है।
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