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Friday, June 20, 2025
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ओला कृतिम: काम के दबाव से कर्मचारी की आत्महत्या, कंपनी ने दी सफाई!

वर्क-लाइफ बैलेंस और मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करना कंपनियों के लिए घातक साबित हो सकता है।

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ओला की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शाखा कृतिम (Krutrim) विवादों में घिरती दिख रही है। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में दावा किया गया है कि कंपनी के एक कर्मचारी निखिल सोमवंशी ने अत्यधिक काम के दबाव और “टॉक्सिक वर्क कल्चर” के कारण आत्महत्या कर ली। इस पोस्ट के वायरल होते ही कृतिम को भारी आलोचना का सामना करना पड़ा। हालांकि, कंपनी ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि घटना के समय निखिल छुट्टी पर थे।

Viral social media post claimed Nikhil died by suicide over toxic work culture

कंपनी ने इंडिया टुडे को दिए बयान में कहा,”हम अपने सबसे प्रतिभाशाली युवा कर्मचारियों में से एक, निखिल, के असामयिक निधन से बेहद दुखी हैं। यह हमारे लिए व्यक्तिगत और पेशेवर रूप से गहरा आघात है। हमारी संवेदनाएं उनके परिवार, मित्रों और सहकर्मियों के साथ हैं।”

कंपनी ने आगे बताया कि 8 अप्रैल को निखिल ने अपने मैनेजर को यह सूचित किया था कि उन्हें कुछ समय के लिए विश्राम की आवश्यकता है, और उन्हें तुरंत निजी अवकाश प्रदान किया गया था। 17 अप्रैल को उन्होंने बताया कि वे बेहतर महसूस कर रहे हैं लेकिन कुछ और दिन आराम करना चाहते हैं, जिस पर उनकी छुट्टी और बढ़ा दी गई थी।

इस मामले की गंभीरता तब बढ़ी जब Reddit पर एक गुमनाम उपयोगकर्ता ने दावा किया कि निखिल अत्यधिक कार्यभार का सामना कर रहे थे। पोस्ट में आरोप लगाया गया कि दो कर्मचारियों के इस्तीफे के बाद निखिल से तीन लोगों का काम करवाया जा रहा था। साथ ही यह भी आरोप लगाया गया कि उनका मैनेजर अमेरिका में बैठकर कामकाज की निगरानी करता था, अक्सर मीटिंग में कर्मचारियों पर चिल्लाता था और फिर गायब हो जाता था।

पोस्ट में कहा गया,”मीटिंग्स में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा, विशेष रूप से नए कर्मचारियों के लिए, काफी आघातकारी (traumatic) होती है।” यह पोस्ट वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर कंपनी की कार्यसंस्कृति को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।

कंपनी ने कहा, “निखिल हमारे लिए एक मूल्यवान टीम सदस्य थे और उनकी अनुपस्थिति हमेशा महसूस की जाएगी। हम उनके परिवार को हर संभव सहायता दे रहे हैं और इस दुखद घड़ी में अपने कर्मचारियों के साथ खड़े हैं। हम संबंधित अधिकारियों के संपर्क में हैं और जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं।”

हालांकि कंपनी का कहना है कि घटना के समय कर्मचारी छुट्टी पर था, लेकिन सोशल मीडिया पर उठ रहे सवालों ने कार्यस्थल की संस्कृति और कर्मचारियों की मानसिक स्थिति को लेकर कॉर्पोरेट जवाबदेही पर बहस को फिर से जीवित कर दिया है। यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि वर्क-लाइफ बैलेंस और मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करना कंपनियों के लिए घातक साबित हो सकता है।

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