महाराष्ट्र में हिंदी को अनिवार्य बनाने के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। इस बीच राज्य के उद्योग और मराठी भाषा मंत्री उदय सामंत ने शुक्रवार को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि राज्य में स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य बनाने की नीति खुद उद्धव ठाकरे की सरकार के दौरान कैबिनेट में मंजूर हुई थी।
बालासाहेब भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सामंत ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत एक टास्क फोर्स का गठन किया गया था, जिसकी अध्यक्षता प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. रघुनाथ माशेलकर कर रहे थे। इस समिति ने मराठी, अंग्रेज़ी और हिंदी को कक्षा 1 से 12 तक अनिवार्य भाषा विषय के रूप में पढ़ाने की सिफारिश की थी। समिति की रिपोर्ट 21 जनवरी 2021 को सौंपी गई और उसे 27 जनवरी 2022 को उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में मंजूरी दी गई।
उदय सामंत ने आरोप लगाया कि अब वही ठाकरे गुट आगामी नगर निगम चुनावों को ध्यान में रखते हुए लोगों को गुमराह कर रहा है और मराठी बनाम हिंदी का मुद्दा खड़ा कर राजनीतिक लाभ लेना चाहता है। सामंत ने कहा, “अगर ठाकरे गुट को इस नीति से दिक्कत थी, तो उस समय कैबिनेट में इसका विरोध क्यों नहीं किया? अब विरोध करना केवल दोहरा मापदंड दर्शाता है।”
सामंत ने यह भी स्पष्ट किया कि वर्तमान सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है कि हिंदी को जबरन थोपा जाए। उन्होंने कहा, “हम सिर्फ मातृभाषा मराठी को बढ़ावा देना चाहते हैं। इसलिए मुंबई में ₹100 करोड़ की लागत से मराठी भाषा केंद्र बनाया जाएगा, और ऐरोली में उसका उपकेंद्र भी स्थापित होगा। महिलाओं, युवाओं और बच्चों के लिए साहित्यिक महोत्सव और एक वैश्विक मराठी सम्मेलन का भी आयोजन किया जाएगा।”
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— Uday Samant (@samant_uday) June 26, 2025
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे मराठी साहित्यकारों से संवाद कर उनके सुझावों को सुने। इसके लिए अगले सप्ताह एक विशेष बैठक रखी गई है। राज ठाकरे के संभावित विरोध मार्च पर उदय सामंत ने कहा कि यह विषय मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री देखेंगे, लेकिन बतौर मराठी भाषा मंत्री वे खुद भी उनसे मिलने को तैयार हैं।
इस विवाद के बीच उद्धव ठाकरे के बेटे और शिवसेना (यूबीटी) विधायक आदित्य ठाकरे के पुराने बयान भी सामने आए हैं, जिसमें उन्होंने कहा था, “मराठी के साथ जितनी भाषाएं जानेंगे, उतना बेहतर।” उन्होंने सिंगापुर के शिक्षा मॉडल का उदाहरण देते हुए कहा था कि छात्रों को मातृभाषा के साथ अंग्रेज़ी और हिंदी का ज्ञान होना चाहिए, विशेषकर UPSC जैसी परीक्षाओं के लिए।
अब जब राज्य में NEP 2020 की शुरुआत अप्रैल 2025 से होने जा रही है, तब यह राजनीतिक विवाद और भी तेज हो गया है। लेकिन उदय सामंत के इस दावे ने शिवसेना (यूबीटी) को कटघरे में खड़ा कर दिया है, और अब जवाबी प्रतिक्रिया का इंतज़ार है।
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