अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डेमोक्रेटिक पार्टी पर ईरान पर हुए हालिया अमेरिकी हवाई हमलों से जुड़ी गोपनीय खुफिया रिपोर्ट लीक करने का आरोप लगाया है। ट्रंप का दावा है कि रिपोर्ट लीक कर उनके प्रशासन की सैन्य कार्रवाई को कमजोर दिखाने की कोशिश की गई है।
डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार (27 जून) को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा, “डेमोक्रेट्स ही वो लोग हैं, जिन्होंने ईरान में परमाणु स्थलों पर परफेक्ट फ्लाइट (हमले) की जानकारी लीक की। उन पर मुकदमा चलना चाहिए।”
ट्रंप का यह बयान सीएनएन और न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा प्रकाशित उस रिपोर्ट के बाद आया है, जिसमें अमेरिकी डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA) की शुरुआती खुफिया जानकारी का हवाला देते हुए कहा गया था कि ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों से केवल कुछ महीनों की देरी हुई है, जबकि यूरेनियम भंडार पहले ही हटा लिया गया था।
इन रिपोर्टों से नाराज़ ट्रंप ने कहा, “सीएनएन और न्यूयॉर्क टाइम्स इतिहास के सबसे सफल सैन्य अभियानों में से एक को बदनाम कर रहे हैं। ईरान में परमाणु ठिकानों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है। ये फर्जी न्यूज फैलाकर जनता को गुमराह कर रहे हैं।”
इस विवाद पर व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलाइन लेविट ने भी बयान दिया है। उन्होंने कहा, “गोपनीय खुफिया जानकारी का लीक होना गंभीर मामला है। बहुत ही सीमित लोगों को इस रिपोर्ट की जानकारी थी। किसी एक व्यक्ति ने गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाया और इसे लीक कर दिया। इस मामले की पूरी जांच होगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए प्रक्रिया को और मजबूत किया जाएगा।”
ट्रंप का यह आरोप ऐसे समय पर आया है जब अमेरिका और ईरान के बीच तनाव चरम पर है। हाल ही में हुए हवाई हमलों को लेकर बाइडन प्रशासन और रिपब्लिकन नेताओं के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। ट्रंप का आरोप न सिर्फ डेमोक्रेट नेताओं पर है, बल्कि वो इन खबरों को प्रकाशित करने वाले मीडिया संस्थानों को भी “राष्ट्रविरोधी” और “जनता का शत्रु” कह चुके हैं।
ईरान पर अमेरिकी कार्रवाई को लेकर ट्रंप और मीडिया के बीच नया टकराव खुलकर सामने आ गया है। इस प्रकरण ने न केवल अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को उजागर किया है, बल्कि चुनावी मौसम में एक बार फिर ट्रंप बनाम डेमोक्रेट्स की लड़ाई को हवा दी है। अगर जांच में आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह मामला अमेरिका की आंतरिक सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
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