शुक्रवार (16 मई)को ओडिशा के आसमान में छाए काले बादलों ने केवल बारिश ही नहीं, बल्कि मातम भी बरसा दिया। राज्य के विभिन्न जिलों में ‘नॉरवेस्टर’ तूफान के साथ गिरी आकाशीय बिजली ने कम से कम दस लोगों की जान ले ली, जिनमें तीन मासूम बच्चे भी शामिल हैं। बिजली गिरने की इन घटनाओं ने एक बार फिर राज्य में मौसमीय आपदाओं की भयावहता को सामने ला दिया है।
कोरापुट जिले के परीडीगुडा गांव में एक झोपड़ी पर बिजली गिरने से ब्रूडी माडिंगा, उनकी पोती कासा माडिंगा और अंबिका कासी की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं, ब्रूडी के पति हिंगू समेत पांच अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हैं और उनका इलाज जारी है। इसी जिले के सेमिलीगुडा ब्लॉक में नदी किनारे मछली पकड़ रहे 32 वर्षीय दासा जानी की भी बिजली गिरने से मौत हो गई।
नबरंगपुर जिले के बेनोरा गांव में चैत्यराम माझी और उनके भतीजे ललिता माझी पर बिजली गिरी। ललिता की रास्ते में ही मौत हो गई, जबकि चैत्यराम अस्पताल में भर्ती हैं। जाजपुर जिले के बुदुसाही गांव में बाहर खेल रहे दो नाबालिग बच्चों की जान वज्रपात ने ले ली। गजपति के उदयगिरी थाना क्षेत्र में दमयंती मंडल नामक महिला की मौत हो गई, जबकि चार अन्य घायल हैं। गंजम और ढेंकनाल जिलों में कुल तीन लोगों की और जानें गईं।
ओडिशा में पिछले कुछ वर्षों से वज्रपात की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 से 2024 के बीच राज्य में बिजली गिरने से 1,075 लोगों की जान गई। लेकिन सवाल यह है कि क्या मौसम विभाग की चेतावनियों और स्थानीय प्रशासन की तैयारियों में कोई खामी है? क्या लोगों तक समय पर अलर्ट पहुंच रहा है?
ग्रामीण इलाकों में बिजली गिरने की घटनाएं अक्सर जानलेवा साबित होती हैं, जहां न तो मजबूत आश्रय हैं और न ही बचाव के लिए त्वरित संसाधन।
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