भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बैंकिंग क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए 10 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को अपने बचत या सावधि जमा खातों को स्वयं संचालित करने की अनुमति दे दी है। यह बदलाव न केवल बच्चों को वित्तीय स्वतंत्रता की ओर बढ़ाएगा, बल्कि उन्हें बचपन से ही जिम्मेदार आर्थिक व्यवहार सिखाने में मददगार होगा।
RBI द्वारा सोमवार (21 अप्रैल)को जारी एक परिपत्र में बताया गया कि यह नियम सभी वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों पर लागू होगा, जिसमें शहरी प्राथमिक सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक शामिल हैं। नए दिशा-निर्देश पुराने नियमों की समीक्षा के बाद जारी किए गए हैं और इससे जुड़ी प्रक्रियाओं को सरल और समेकित किया गया है।
RBI ने कहा, “किसी भी आयु के नाबालिगों को अपने प्राकृतिक या कानूनी अभिभावक के माध्यम से बचत और सावधि जमा खाते खोलने और संचालित करने की अनुमति दी जा सकती है।” हालांकि, अब 10 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चे चाहें तो बिना किसी अभिभावक के हस्तक्षेप के खुद से खाता खोल और संचालित कर सकते हैं।
इस फैसले में बैंकों को भी लचीलापन दिया गया है कि वे अपने जोखिम प्रबंधन नीतियों के अनुसार ऐसे खातों के लिए नियम तय कर सकते हैं। इसमें खाते में जमा राशि की सीमा तय करना और शर्तें व नियम निर्धारित करना शामिल है। ये शर्तें युवा खाताधारकों को स्पष्ट रूप से बताई जानी चाहिए।
RBI ने स्पष्ट किया है कि ऐसे खातों को ओवरड्राफ्ट की अनुमति नहीं होगी — यानी इन खातों का बैलेंस कभी भी नकारात्मक नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही बैंकों को KYC (Know Your Customer) नियमों का पूरी तरह से पालन करना होगा, जैसे खाता खोलते समय सटीक दस्तावेजी जांच और समय-समय पर सत्यापन।
जब कोई नाबालिग खाताधारक 18 वर्ष का हो जाता है, तो बैंक को नई संचालन जानकारी और हस्ताक्षर का नमूना लेना जरूरी होगा। यदि खाता पहले अभिभावक द्वारा संचालित किया जा रहा था, तो बैंक को खाता शेष की पुष्टि भी करनी होगी। RBI ने बैंकों से यह प्रक्रिया समय रहते पूरी करने का निर्देश दिया है, ताकि खाते के संचालन में कोई रुकावट न आए।
इसके अलावा, बैंक इंटरनेट बैंकिंग, डेबिट कार्ड, चेक बुक जैसी सेवाएं भी इन खाताधारकों को दे सकते हैं, बशर्ते ये सेवाएं उनके लिए उपयुक्त मानी जाएं और बैंक की जोखिम नीति के तहत सुरक्षित हों।
RBI ने सभी बैंकों को यह भी निर्देश दिया है कि वे 1 जुलाई 2025 तक अपने आंतरिक नियमों को इन नई गाइडलाइंस के अनुरूप अपडेट करें। इस पहल को वित्तीय समावेशन की दिशा में एक प्रगतिशील कदम माना जा रहा है, जो भारत में युवाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का रास्ता खोलेगा।
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