अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों को लेकर बयान देकर हलचल मचा दी है। ट्रंप ने दावा किया है कि भारत ने अमेरिकी वस्तुओं पर सभी टैरिफ हटाने की पेशकश की है। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे इस समझौते को अंतिम रूप देने की किसी भी जल्दबाज़ी में नहीं हैं।
फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, “भारत व्यापार बाधाएं हटाने के लिए प्रतिबद्ध है। वे अमेरिका के लिए अपने टैरिफ में 100 प्रतिशत की कटौती करने को तैयार हैं।” उन्होंने भारत को उन देशों का उदाहरण बताया जो व्यापार को ‘लगभग असंभव’ बना देते हैं, लेकिन अब खुलने को तैयार हैं।
हालांकि इस सनसनीखेज़ दावे के ठीक बाद, भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्थिति को स्पष्ट किया। जयशंकर ने कहा, “भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता जारी है, लेकिन यह अंतिम चरण से अभी काफी दूर है। जब तक सब तय नहीं हो जाता, तब तक कुछ भी तय नहीं है।”
जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत किसी भी व्यापारिक समझौते को केवल तभी स्वीकार करेगा जब वह “पारस्परिक रूप से लाभकारी और दोनों देशों के लिए काम करने वाला” हो। उनके मुताबिक, इस स्तर की वार्ताएं जटिल होती हैं और समय से पहले कोई निष्कर्ष निकालना उचित नहीं होगा।
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है जब वे चुनावी वर्ष में वैश्विक व्यापार नीति को फिर से आकार देने की बात कर रहे हैं। शुक्रवार (16 मई)को उन्होंने संकेत दिया कि अमेरिका अगले दो-तीन हफ्तों में आयात शुल्क की नई दरें तय कर सकता है। इतना ही नहीं, उन्होंने पाकिस्तान के साथ व्यापार विस्तार और भारत-पाक संबंधों में व्यापार के ज़रिए शांति स्थापित करने की बात भी कही।
ट्रंप ने कहा, “मैं शांति स्थापित करने के लिए दोनों देशों के साथ बराबरी से व्यापार करना चाहता हूं।” उन्होंने इसे भारत-पाक सीमा विवाद और हालिया पहलगाम आतंकी हमले के संदर्भ में मध्यस्थता की एक सकारात्मक दिशा बताया।
दूसरी ओर, ट्रंप की नजरें केवल भारत पर नहीं, चीन पर भी हैं। चीन के साथ लंबे समय से चले आ रहे ट्रेड वॉर में हाल में नरमी आई है। अमेरिका ने चीन पर लगाई गई टैरिफ दर 145 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत कर दी है, जबकि चीन ने भी 125 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत तक का कदम उठाया है। ट्रंप का दावा है कि “अगर यह समझौता न हुआ होता तो चीन टूट चुका होता।”
भारत के संदर्भ में, ट्रंप का यह दावा कई सवाल खड़े करता है: क्या वास्तव में भारत अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ शून्य करने को तैयार है? या यह ट्रंप का चुनावी अंदाज़ है? जवाब अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह तय है कि अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता में आने वाले हफ्तों में गर्मी और बढ़ने वाली है।
