भारत के एथलेटिक्स इतिहास में 17 मई 2025 की शाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गई, जब ‘गोल्डन बॉय’ नीरज चोपड़ा ने दोहा डायमंड लीग में पहली बार 90 मीटर की दीवार तोड़ दी। उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में 90.23 मीटर भाला फेंककर न सिर्फ अपना पर्सनल बेस्ट बनाया, बल्कि भारतीय खेलों की उस अधूरी उम्मीद को भी पूरा कर दिखाया, जिसका इंतजार वर्षों से था।
हालांकि इस ऐतिहासिक थ्रो के बावजूद नीरज को गोल्ड नहीं मिला। जर्मनी के वेबर जूलियन ने अंतिम प्रयास में 91.06 मीटर भाला फेंककर बाज़ी मार ली और नीरज को सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा। मगर इस परिणाम से नीरज के चेहरे पर शिकन नहीं, बल्कि संतोष और दृढ़ता की चमक थी—क्योंकि 90 मीटर पार करना उनके लिए केवल एक आंकड़ा नहीं था, बल्कि एक अधूरी कहानी का मुकम्मल अंत था।
टोक्यो ओलंपिक और बुडापेस्ट वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने के बावजूद यह सवाल अक्सर उठता रहा—क्या नीरज कभी 90 मीटर की लक्ष्मण रेखा लांघ पाएंगे? 2022 में 89.94 मीटर के करीब जाकर भी वे रह गए थे। लेकिन अब उन्होंने यह लक्ष्मण रेखा पार कर, आलोचकों को खामोश और देश को गौरवांवित कर दिया है।
इस अद्भुत प्रदर्शन में उनके नए कोच जान जेलेज्नी का योगदान भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। तीन बार के ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट जेलेज्नी को नीरज ने हाल ही में अपने कोच के रूप में चुना था, replacing Dr. क्लॉस बार्टोनिएट्ज। दोहा में उनका यह निर्णय सही साबित हुआ।
दोहा डायमंड लीग में यह नीरज का इस सीजन का पहला बड़ा मुकाबला था। उनका सामना दो बार के वर्ल्ड चैंपियन ग्रेनेडा के एंडरसन पीटर्स (85.64 मीटर, कांस्य पदक), चेक गणराज्य के याकुब वाडलेजच, जर्मनी के मैक्स डेह्निंग और वेबर जूलियन जैसे दिग्गजों से हुआ।
दरम्यान प्रधानमंत्री मोदी ने नीरज चोपड़ा की इस उपलब्धी पर बधाई देते हुए ट्वीट किया है, “शानदार उपलब्धि! दोहा डायमंड लीग 2025 में 90 मीटर का आंकड़ा पार करने और अपना सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत थ्रो हासिल करने के लिए नीरज चोपड़ा को बधाई। यह उनके अथक समर्पण, अनुशासन और जुनून का नतीजा है। भारत को खुशी और गर्व है।”
नीरज चोपड़ा अब उस विशेष ‘90 मीटर क्लब’ में शामिल हो गए हैं, जिसमें पाकिस्तान के अर्शद नदीम जैसे खिलाड़ी पहले से हैं। यह उपलब्धि सिर्फ एक थ्रो नहीं, बल्कि नीरज के जुझारू स्वभाव, सालों की मेहनत और देश के भरोसे की जीत है। एक बार फिर, उन्होंने दिखा दिया है कि जब भारत का झंडा ऊंचा उठाना हो, तो नीरज पीछे नहीं हटते।
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