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पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान की घबराहट चरम पर, ‘ट्रंप’ से दखल की गुहार !

'बड़ी ताकत से टकराने की हिम्मत नहीं'

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर इस्लामाबाद अब खुलकर बैकफुट पर आता दिख रहा है। अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रिजवान सईद शेख ने न्यूज़वीक को दिए इंटरव्यू में न सिर्फ भारत को ‘बड़ी ताकत’ मानते हुए टकराव से बचने की बात की, बल्कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी हस्तक्षेप की गुहार लगाई है।

शेख ने कहा, “हम लड़ाई नहीं चाहते, खासकर किसी बड़ी ताकत से।” उनका कहना था कि पाकिस्तान की प्राथमिकता ‘सम्मानजनक शांति’ है, जो उसकी आर्थिक और राष्ट्रीय हितों के अनुरूप है। लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि यदि संघर्ष थोपा गया, तो “पाकिस्तान अपमान के साथ जीने से बेहतर है कि वह सम्मान के साथ मरे।”

दुनिया को ‘परमाणु फ्लैश प्वाइंट’ की याद दिलाते हुए शेख ने कश्मीर मुद्दे को फिर हवा देने की कोशिश की और कहा, “दुनिया में इससे बड़ा और चमकीला परमाणु फ्लैश प्वाइंट कोई और नहीं है।” उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप से अपील की कि अगर वे फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो ऐसे विवादों के समाधान को अपनी वैश्विक शांति निर्माण की विरासत का हिस्सा बनाएं।

भारत की ओर से हालांकि आधिकारिक रूप से पाकिस्तान का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन खुफिया रिपोर्ट्स में हमले में पाकिस्तानी नागरिकों की संलिप्तता के संकेत मिले हैं। 22 अप्रैल के इस आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिनमें अधिकतर हिंदू पर्यटक थे।

इस बीच, अमेरिका ने भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों को खुलकर समर्थन दिया है। अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने अपने भारतीय समकक्ष से बात करते हुए कहा कि “अमेरिका भारत के साथ एकजुटता में खड़ा है” और “भारत के आतंकवाद से लड़ने के अधिकार का समर्थन करता है।” अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी भारतीय अधिकारियों से बातचीत कर संयम बरतने की अपील की, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में भारत का पक्ष लिया।

डोनाल्ड ट्रंप, जो फिलहाल राजनीतिक वापसी की राह पर हैं, ने हालांकि मामले में ‘हैंड्स-ऑफ’ रुख अपनाते हुए कहा, “मुझे पूरा यकीन है कि पाकिस्तान और भारत इस मसले को किसी तरह सुलझा लेंगे।”

पाकिस्तान की यह कूटनीतिक अपील इस बात की तस्दीक करती है कि वह सीधे सैन्य टकराव की स्थिति से घबराया हुआ है। ‘शांति की इच्छा’ जताते हुए भी जो बार-बार ‘परमाणु’ शब्द को उछाल रहा हो, वह दरअसल किसी भी जवाबी हमले के डर से वैश्विक सहानुभूति जुटाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन भारत की ओर से स्पष्ट संदेश है—आतंक का जवाब संयम से नहीं, साहस से दिया जाएगा।

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