भारतीय क्रिकेट के कभी तेज़-तर्रार चेहरे रहे एस. श्रीसंथ एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं। केरल क्रिकेट संघ (KCA) ने पूर्व तेज़ गेंदबाज़ पर तीन साल का निलंबन ठोकते हुए स्पष्ट कर दिया है कि संगठन के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणियों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। KCA की कोच्चि में आयोजित विशेष जनरल बॉडी मीटिंग में यह फैसला लिया गया, जिसमें श्रीसंथ के हालिया बयानों को “अनुशासनहीनता की पराकाष्ठा” बताया गया।
दरअसल, श्रीसंथ ने एक मलयालम न्यूज चैनल पर पैनल चर्चा में KCA पर आरोप लगाया कि उन्होंने जानबूझकर संजू सैमसन को चैंपियंस ट्रॉफी टीम से बाहर करवाया है। इस आरोप को संघ ने बेबुनियाद बताते हुए कहा कि श्रीसंथ न सिर्फ तथ्यात्मक रूप से ग़लत हैं, बल्कि जानबूझकर संगठन की छवि को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे हैं। KCA ने बयान जारी कर कहा, “यह निलंबन श्रीसंथ के संजू सैमसन के समर्थन में खड़े होने की वजह से नहीं है, बल्कि उनके द्वारा दिए गए असत्य, आपत्तिजनक और अपमानजनक बयानों की वजह से है।”
KCA ने श्रीसंथ को याद दिलाया कि वे स्वयं भी अतीत में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में दोषी ठहराए जा चुके हैं और भले ही अदालत ने आपराधिक मामलों से बरी किया हो, लेकिन बीसीसीआई ने उन्हें सात साल का प्रतिबंध दिया था, जो 2020 में खत्म हुआ।
श्रीसंथ, जो इन दिनों कोल्लम एरीज़ नाम की टीम के सह-मालिक हैं, KCA की कार्यशैली पर लगातार सवाल उठा रहे थे। उन्होंने दावा किया था कि संजू सैमसन के बाद से केरल से कोई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नहीं निकला, जिसे संघ ने तुरंत खारिज करते हुए महिला खिलाड़ियों साजना सजीवन, मिन्नू मणि और आशा शोभना का उदाहरण पेश किया।
यह मामला सिर्फ एक पूर्व खिलाड़ी बनाम क्रिकेट बोर्ड का नहीं, बल्कि उस बड़ी बहस का हिस्सा बन गया है कि पूर्व खिलाड़ी खेल प्रशासन में कितनी भूमिका निभा सकते है। जब श्रीसंथ ने KCA की कार्यशैली पर सवाल उठाए है तो उस पर निलंबल लगाना आरोपों को ख़ारिज करना नहीं बल्की KCA के सदस्यों की बौखलाहट का उदाहरण।
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